जज बनने के पीछे की कहानी; धागा बुनकर चलता रहा घर, कई बार तोड़ दिया गया घर फिर भी हौसला बुलंद रहा। रोड किनारे स्ट्रीट लाइट से करती थी पढ़ाई।
झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली लड़की रूबी आज देश के सबसे बड़े पद यानी जज के पद पर बैठी है। रूबी पानीपत के जीटी रोड की अनाज मंडी के पास झुग्गी झोपड़ी में रहती थी। आज हम रूबी की सक्सेस की कहानी आपको सुनाने वाले हैं। जीवन में कुछ पाना है तो कड़ी मेहनत जरूरी है यह रूबी ने साबित करके दिखाया है। रूबी ने झारखंड पीसीएस-जे क्वालीफाई की और आज जज के पद पर कार्यरत है।
रूबी की तीन बड़ी बहने और है रूबी जब छोटी थी तो उनके पिता की मृत्यु हो गई थी जिसके चलते परिवार में आर्थिक तंगी आ गई अपना गुजारा करने के लिए परिवार धागा बनाता था। रूबी एक ऑफिसर बनना चाहती थी इसलिए उसने सबसे पहले इंग्लिश में m.a. की और आईएएस की तैयारी में जुट गई लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
इन सबके बीच सरकार ने कच्चे मकानों को गिराने का अभियान शुरू कर दिया था इसीलिए रूबी के घर को भी तोड़ा गया और वे सड़क पर आ गए। इन मुसीबतों के बावजूद भी रूबी ने हार नहीं मानी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थी लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। 2019 में यूपी के घर में लग गई थी इस दौरान वह अपनी एग्जाम की तैयारी कर रही थी।
देश में 52 वी रैंक प्राप्त की
खबरों की मानें तो रूबी के घर को 16 बार तोड़ा गया था मजबूरी में रूबी को फुटपाथ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। रुबीना मुसीबतों से हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को पाने में जुटी रही। रूबी का कहना है कि उनका एक इंटरव्यू हुआ था जिसके बाद उनमें सफल होने की लालसा जग गई थी। रूबी जूनियर डिवीजन में देश में 52 वी रैंक हासिल की थी।