बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए किसान पिता ने बेच दिए अपने खेत, बेटी बनी पायलट
प्रकृति सभी मनुष्य को समान अवसर देती है यह व्यक्ति खुद पर निर्भर करता है कि वह इस अवसर को कैसे प्रयोग में लेता है। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो इन अवसरों का प्रयोग करके जीवन में सफलता को प्राप्त कर लेते हैं। आज हम आपको ऐसी ही कहानी से रुबरु करवाने वाले हैं। हर एक कहानी व्यक्ति के जीवन पर कोई ना कोई असर जरूर छोड़ जाती है वैसी ही यह कहानी भी आपके लिए होने वाली है।
यह कहानी उस लड़की की है जिसने प्रकृति के द्वारा दिए गए इस अवसर को जीवन में सफलता को प्राप्त किया है लड़की का नाम है मैत्री पटेल। मेट्रिक छोटी सी उम्र में ही एक पायलट बन चुकी है। अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए मित्र ने कड़ी मेहनत की और आज वह इस मुकाम पर पहुंच चुकी है।
कौन है मैथिली पटेल?
19 साल की उम्र में ही मैत्री एक पायलट बन चुकी है। मैत्री के सपनों को पूरा करने में सबसे बड़ा योगदान इनके पिता कांतिलाल पटेल का है। कांतिलाल पेशे से किसान है। बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए इस किसान ने अपनी जमीन बेच दी।
पायलट बनने के लिए मोटी रकम की जरूरत होती है। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बेटी के सपनों को पूरा कर सकें। सबसे पहले उन्होंने बैंक से लोन के लिए अप्लाई किया लेकिन बैंक से लोन नहीं मिल। चारों ओर से रास्ते बंद हो गए तो पिता ने अपने खेत की जमीन बेचकर बेटी को बढ़ाया और उसके सपनों को उड़ान दी।
11 महीने की ट्रेनिंग के बाद बनी पायलट
मैत्री गुजरात के सूरत की रहने वाली हैं 12वीं की पढ़ाई Metas Adventist School से की आगे इन्होंने पायलट की पढ़ाई शुरू कर दी और ट्रेनिंग के लिए यह अमेरिका गई थी वैसे कमर्शियल विमान उड़ाने की ट्रेनिंग 18 महीनों में होती है लेकिन मैं तेरी पटेल नहीं है ट्रेनिंग 11 महीनों में ही पूरी कर ली। जो लोग 18 महीनों में ट्रेनिंग पूरी नहीं करते उनके ट्रेनिंग को 6 महीने और बढ़ा दिया जाता है।
11 महीनों में ही अपनी ट्रेनिंग पूरा करके मैत्री ने सबको चौंका दिया साथ ही उसे इसके लिए पायलट का अवार्ड भी मिला मैत्री को अब कमर्शियल प्लेन उड़ाने का लाइसेंस मिल चुका , लेकिन इंडिया में फ्लाइट छुड़ाने के लिए मैत्री को पहले देश के नियम को फॉलो करना होगा।
पिता का सपना पूरा किया
मैत्री के पिता का कहना है कि कई लोगों ने सूरत से मुंबई एयरपोर्ट तक ले जाया करते थे। वहीं से ही उन्होंने निश्चय किया कि उनकी बेटी भी एक प्लेन की पायलट बनेगी और पूरी दुनिया घूम सकेगी। मैत्री ने यह सपना अपने बलबूते पर हासिल किया है इसके लिए उसने अपनी ओर से कड़ी मेहनत की है और नतीजा आज सबके सामने है।