फिल्म पुष्पा की वजह से ही सुर्खियों में आई लाल चंदन की लकड़ियां, अब तक हो चुकी हैं करोड़ों की लकड़ियां जब्त...
दोस्तों फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी अनेक फिल्में हुई है जो लोगों के द्वारा बहुत पसंद की जाती हैं। इन फिल्मों को रियल बनाने में एक्टर एंड एक्ट्रेस की बहुत बड़ी भूमिका होती है। कुछ फिल्में ऐसी भी है जो विवाद के चलते रिलीज भी नहीं हो पाती है। खैर! इन सबके बीच हाल ही में आई फिल्म पुष्पा राइज बेहद सुर्खियों में रही है। इसका मुख्य कारण है भारत का सबसे महंगा खजाना लाल चंदन। इसी पर पूरी फिल्म आधारित है। आज हम इसी के बारे में चर्चा करेंगे।
दोस्तों पुष्पा राइस फिल्म सुपरहिट रही है। यह फिल्म लाल चंदन की तस्करी पर बनी हुई है। इस फिल्म में लाल चंदन जितना कीमती दिखाया गया है, वास्तव में वह इससे भी ज्यादा कीमती है। यह लाल चंदन दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में पाया जाता है इसकी कमाई करोड़ों में होती है। इसके पेड़ बड़े बड़े होते हैं जिन्हें काटकर लाल चंदन निकाला जाता है जिसमें बहुत मेहनत लगती है। फिल्म में दर्शाया गया है कि पुष्पा लाल चंदन की तस्करी करता है और इसमें बड़े-बड़े लोग भी शामिल होते हैं और यह सब मिलकर करोड़ों की कमाई करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति सुरक्षा संरक्षण ने लाल चंदन को (2018) मे विलुप्त होने वाली प्रजाति घोषित कर दिया है। यह भारत के पूर्वी तटवर्ती क्षेत्रों में सीमित इलाकों में ही पायी जाती है। करोड़ों की कमाई के चलते इनकी बहुत कटाई होने पर इनका दुनिया में केवल 5 परसेंट ही हिस्सा बचा है। यह फिल्म देखने पर एक सवाल यह भी उठता है कि इतनी सारी लाल चंदन की लकड़ियां फिल्म में आई कहां से? दरअसल, फिल्म को रियल बनाने के लिए इसमें नकली लकड़ियों का प्रयोग किया गया है। फोम और फाइबर से लाल चंदन की लकड़ियां बनी थी। 500-1500 तक लोगों ने बहुत दिनों तक जंगल में फिल्म की शूटिंग की थी। आपको बता दें कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सीमा में यह सब सच में होता है। लाल चंदन को लेकर कई कहानियां भी बनी हुई है। फेमस डाकू वीरप्पन लाल चंदन की लकड़ी का बहुत बड़ा तस्कर था। इस लकड़ी का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है।
इस लकड़ी का उपयोग सौंदर्य को बढ़ाने और शराब में भी किया जाता है। इंटरनेशनल मार्केट में इसकी शुरुआत 3000 रुपए प्रति किलो रेट से होती है। हालांकि इस पेड़ को काटने पर प्रतिबंध है लेकिन फिर भी अवैध रूप से इसका कारोबार चलता है। लाल चंदन के तस्करों को पकड़ने के लिए 'रेड सैंडलर्स एंटी स्मगलिंग टास्क फोर्स' का भी गठन किया गया। 2021 में 508 करोड़ की लाल चंदन की लकड़ियां जब्त की गई थी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस तस्करी के लगभग 117 केस सामने आए हैं और 342 लोग भी पकड़े गए हैं। लाल चंदन मुख्य रूप से शेषाचलम के जंगलों में पाया जाता है।
यह जंगल लगभग 5 लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है। पेड़ों की लंबाई 8 से 11 मीटर तक होती है।इस लकड़ी का उपयोग दवाइयों में भी किया जाता है। भारत में इसे लाल सोने के नाम से भी जाना जाता है। फॉरेन कंट्रीयो में इसकी काफी डिमांड है। चीन में इस लकड़ी से बने फर्नीचर की काफी डिमांड है। 14वी और 17वी सदी में इस लकड़ी से काफी फर्नीचर्स बनाई गई थी। जापान में भी इस लकड़ी के काफी दीवाने है।