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एंटी टेररिज्म डे-2022: आतंकवाद से लड़ाई में खो दिए थे अपने, लेकिन फर्ज से कदम कभी नहीं लडखडाये...-banner
Suman Choudhary Author photo BY: SUMAN CHOUDHARY 0.9K | 0 | 2 years ago

एंटी टेररिज्म डे-2022: आतंकवाद से लड़ाई में खो दिए थे अपने, लेकिन फर्ज से कदम कभी नहीं लडखडाये...

अपनों को खो दिया फिर भी दुश्मनों के आगे पैर डगमगाए नहीं। मानव सुरक्षा में अपने फर्ज से कभी पीछे नहीं हटे। लुधियाना के दाे लाेगाें की कहानी है ऐसी....

एंटी टेररिज्म डे-2022; इस दिन उन सभी बलिदानियों को याद किया जाता है जिन्होंने आतंकवाद के इस काले वक्त में अपना बलिदान देकर मानवता की रक्षा की। जानकारी के लिए आपको बता दें, सबसे बुरा वक्त पंजाब पुलिस का गुजरा क्योंकि आतंकवादियों ने पहले इनके अपनों निशाना बनाया था। इन्हीं में से बहुत सारे ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने आतंकवाद में अपने परिवारों को खोया है। फिर भी हमारे सोल्जर उनके आगे नहीं झुके और अपने फर्ज को निभाते हुए, आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ते रहे।
दिनांक 7 अक्टूबर 1991 की रात ठंडी थी। इस रात मुल्लापुर दाखा के पास गांव लीहां के राम जी के जीवन में तूफान आ खड़ा हुआ। इस रात जो हुआ उसे याद कर राम जी भावुक हो जाते हैं। आतंकवाद के उस वक्त में राम जी के पिता भाग सिंह इंस्पेक्टर, भाई दर्शन सिंह एसीपीओ और स्वयं राम जी पटियाला पुलिस में सिपाही पद पर कार्यरत थे। राम जी बताते हैं, उस दिन उनकी माता की बरसी थी, जिस कारण घर पर रिश्तेदार भी आए हुए थे।

अखिर राम जी क्यों भावुक हो जाते हैं जानिए:-
इसके पीछे एक लंबी कहानी है। जिस रात माता की बरसी थी। उस दिन घर में उनका बेटा मनप्रीत सिंह पिता भाग सिंह व खुद भाई पर्सन सिंह, बुआ भगवान कोर और उनका बेटा गुरमीत सिंह कुकू, मासी का बेटा गुरमीत सिंह, भाई का साला गुरमीत सिंह, मिता सब सोए हुए थे। अचानक उसी रात आतंकवादियों ने घर पर हमला बोल दिया और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे, जिससे जान बचाकर पिता और स्वयं रामसिंह तुड़ी वाले कमरे में छुप गए। 
रात को हमला कर परिवार के पांच सदस्यों को मार दिया गया।

राम सिंह के बेटे मनप्रीत के पैर और पेट में गोली लगने से वह घायल हो गया और घर के बाकी सभी लोग आतंकवादियों के द्वारा गोली का शिकार हो गए। आतंकवादियों की यह रणनीति थी की पुलिस पर हमला कर उनका हौसला कमजोर किया जाए। इसलिए वे इनके परिवारों को निशाना बना रहे थे। दोनों भाई और रिश्तेदारों को खोने के बाद पिता और राम सिंह ने ठान लिया कि अब पीछे नहीं हटेंगे और पुलिस में अपनी सेवाएं देने से कभी पीछे नहीं हटेंगे और लगातार अपनी सेवाएं देते रहे, आतंकवादियों से कई बार मुठभेड़ भी हुई। वर्ष 1994 में उनके पिता की हार्ट अटैक से जान चली गई। राम जी आज भी पंजाब पुलिस में बतौर एसआई अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

जानकारी के लिए आपको बता दें, वूमैन सेल में तैनात माधुरी ने भी आतंकवाद के दौर में अपने पिता को खो दिया। जब उसके पिता आतंकवादियों के शिकार हुए उस वक्त माधुरी केवल 8 माह की थी। माधुरी कहती है कि उनके पास कोई पिता की अलग से निशानी नहीं है, परंतु उन्होंने अपने पिता एसआई के बलिदान की कहानी सुनी है। पिता को कभी देख तो नहीं पाई परंतु उनकी कहानी सुनकर आज भी गर्व होता है। जब उनका नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है तो मेरा सीना अपने पिता के लिए चौड़ा हो जाता है। माधुरी कहती है जब भी पुलिस लाइन जाती है तब अपने पिता की तस्वीर बलिदानियों में लगी देख अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस करती है और उन्हीं के राहों पर चलने की माधुरी नैथानी और आज भी पुलिस में है।

माधुरी का कहना है, कि उनकी बुआ सुनीता साल 1989 में पुलिस में भर्ती हुई और उनका सामना जनता नगर में आतंकवादियों से हुआ। और बुआ को 2 गोलियां लगी। अपनी बहन की इस वीरता को देख पापा श्यामसुंदर भी उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए स्पेशल पुलिस फोर्स में भर्ती हुए। उसके पश्चात तत्कालीन शिक्षा मंत्री हरनाम दास जोहर के घर श्याम सुंदर को सिक्योरिटी फोर्स में तैनात किया गया।

साल 1992 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री के घर के बाहर ब'म धमाका हुआ। जिसमें माधुरी के पिता के साथ कई सुरक्षा कर्मियों की जान चली गई। माधुरी के पिता श्याम सुंदर ने अपना बलिदान देकर अपना फर्ज अदा किया। माधुरी कहती हैं कि उनके पश्चात उन्हें मां और ताई ने पाल-पोस कर बड़ा किया। माधुरी कहती है पुलिस फोर्स में भर्ती होने के लिए उन्होंने कई बार कोशिश की, परंतु उनकी हाइट कम होने की वजह से बाहर का रास्ता देखना पड़ता था, परंतु अपने धैर्य को कभी डगमगाने नहीं दिया और अपने जज्बे और हिम्मत के साथ फिर से कोशिश की और 7 साल की कड़ी मेहनत के बाद, पुलिस फोर्स में भर्ती होकर ही दम लिया।

Tags आतंकवाद से लड़ाई Anti-terrorism Day 2022 एंटी टेररिज्म डे-2022
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