मुंबई के रेड लाइट एरिया में पैदा हुई श्वेता में आगे बढ़ने और कुछ कर दिखाने की ऐसी लगन थी वह अमेरिका के सबसे महंगे कॉलेज तक जा पहुंची. जानें कैसे -
आज हम जिस लड़की की बात करने जा रहे है उसका नाम है श्वेता. श्वेता ने मात्र 18 साल की उम्र में अमेरका तक का सफ़र पूरा कर लिया. सुनने में यह एक आम बात लगती है लेकिन जब बात हो रेड लाइट एरिया में जन्मी एक लड़की तो यह खास खबर बन जाती है, तो आइये जानते है श्वेता के बारे में विस्तार से -
इस बहादुर और परिश्रमी लड़की का पूरा नाम श्वेता कट्टी है. इसका जन्म मुंबई के एक रेडलाइट एरिया कमाठीपुरा में हुआ. आपको बता दें की कमाठीपुरा एरिया एक जाना-माना रेडलाईट एरिया है. श्वेता की कुल तीन बहनें है. श्वेता जिस एरिया में रहती है उस एरिया में बड़े सपने देखना और उनको पूरा करना एक चुनौती भरा काम है. श्वेता का पूरा बचपन इसी रेडलाईट एरिया कमाठीपुरा में बीता था. कमाठीपुरा की सेक्स वर्कर्स के बीच रहकर भी श्वेता ने अपनी सपने को पूरा करने का ज़ज्बा नहीं छोड़ा. श्वेता के साथ रहने वाली सेक्स वर्कर्स ने भी श्वेता का इस लड़ाई में साथ दिया और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही, ताकि श्वेता इस गंदे माहौल से निकलकर एक अच्छी जिन्दगी जी सके.
रेडलाईट एरिया कमाठीपुरा में रह रहा श्वेता का परिवार उसकी मां की कमाई पर निर्भर था. श्वेता की माँ काफी दिनों तक एक फैक्ट्री में 5500 के वेतन में करती रही. श्वेता के पिता भी था लेकिन वह केवल नाम मात्र का पिता था क्योकि श्वेता का पिता उसका सौतेला पिता था. श्वेता के अनुसार उसके पिता उसके साथ मार पीट और आये दिन झगड़ें करते रहते थे. श्वेता ने अपने बचपन में बहुत कुछ झेल लिया था. श्वेता बचपन में ही यौन शोषण का भी शिकार हुई थी. श्वेता जब 9 साल की उम्र में थी तब श्वेता को उसके करीबी की गन्दी हरकतों का सामना करना पड़ा था. इन सभी के साथ-साथ श्वेता को उसके सांवले रंग को लेकर भी सताया जाता था. श्वेता के अनुसार उसे स्कूल में बच्चे गोबर कहकर चिढाते थे.
श्वेता को बाहरी मदद कहीं से भी नहीं मिल रही थी और न किसी ने उसके आत्मविश्वास को मजबूत किया. श्वेता ने इतना कुछ सहने के बाद खुद को कमजोर महसूस करने लग गयी थी. आप सबने एक कहावत तो सुनी होगी की जहाँ चाह होती है वही राह होती है. कुछ ऐसा ही श्वेता के साथ भी हुआ. श्वेता वर्ष 2012 में क्रांति नाम के एक एन जी ओ में शामिल हो गयी. श्वेता के इस एक कदम ने उसकी जिन्दगी बदल दी और श्वेता की जिन्दगी में एक नया मोड़ आ गया. इस संस्था ने श्वेता को जीने की नयी राह दी और खुद से प्यार करना सिखाया. श्वेता ने इस संस्था का साथ पाकर अपने जैसे अन्य लडकियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.
श्वेता के द्वारा किये गये प्रेरणादायी कार्यों को देखकर एक अमेरिकी मैगजीन में साल 2013 में अप्रैल अंक की 25 साल से कम उम्र की 25 महिलाओं की सूचि में शामिल किया. इसी सूची में पाकिस्तान की एक और महिला युसुफजई भी थी.
यह सब श्वेता के लिए किसी सपने से कम नहीं था. श्वेता इन्टरनेट पर अमेरिकी विश्वविद्यालय के बारे में कई बार सर्च करती रहती थी. इसी के दौरान श्वेता की बात बार्ड कॉलेज के पूर्व छात्र से हुई. यह छात्र श्वेता से इतना प्रभावित हुआ की उसने बार्ड कॉलेज में श्वेता के नाम की अर्जी लगा दी. श्वेता की इस सत्य घटना ने कॉलेज के अधिकारीयों का दिल छु लिया. बस फिर क्या था उन्होंने श्वेता को तुरंत एडमिशन देना का फैसला कर लिया. इसके साथ ही श्वेता को बार्ड कॉलेज ने छात्रवृति भी मंजूर कर दी.