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पिता के साथ छोटी सी दुकान में बेचा करते थे खैनी, आर्थिक स्थिति खराब रही फिर भी मेहनत के बलबूते पर बने आईएएस ऑफिसर...-banner
Neha Rajput Author photo BY: NEHA RAJPUT 880 | 4 | 1 year ago

पिता के साथ छोटी सी दुकान में बेचा करते थे खैनी, आर्थिक स्थिति खराब रही फिर भी मेहनत के बलबूते पर बने आईएएस ऑफिसर...

पिता के बीमार होने के बाद घड़ी की दुकान बंद हो गई घर की स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती गई, छोटी सी दुकान में खैनी बेची, मेहनत के दम पर बने IAS....

इंसान चाहे तो अपनी लगन और शिक्षा से कोई भी कार्य कर सकता है जो उसे ऊंचाइयों तक ले जाए। लगातार मेहनत करने वाले सफल होते हैं हर कोई सपना देखता है उन सपनों को पूरा करना चाहता है कुछ कि मेहनत सफल हो जाती है और वह कामयाबी के मुकाम को हासिल कर लेते हैं। जीवन संघर्ष का नाम है।
जो व्यक्ति कठिनाई से कभी नहीं डरते और असफलता से कभी नहीं घबराते उन्हीं को सफलता जल्दी प्राप्त होती है आज हम आपको ऐसी ही कहानी सुनाने वाले हैं जिसे देख आप भी मेरे सपनों को पूरा करने के लिए जागरूक हो उठेंगे। यह कहानी है निरंजन कुमार की। जो गरीबी से लड़कर मेहनत के द्वारा आईएएस ऑफिसर बने तो चलिए जानते हैं इनके बारे में...

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छोटी सी उम्र से ही पिता की दुकान में काम कराते थे
निरंजन कुमार बिहार के नवादा जिले में रहते हैं उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब थी इनके पिता अरविंद कुमार की छोटी सी खैनी थी, इसी दुकान के सहारे इनका घर परिवार चलता था इनके पिता ने अपने बेटे का पढ़ाई में साथ दिया जिसकी वजह से निरंजन कुमार आईएएस ऑफिसर बने है।

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देश में कोरोनावायरस के चलतेदुकान में काम बंद हो गया था इनके पिता बीमार रहने लगे थे जिसके बाद दुकान का काम बंद हो गया इस दुकान से हर महीने ₹5000 की कमाई होती थी। निरंजन अपनी पिता की हेल्प करना चाहते थे जिसके चलते वह अपने पिता की दुकान में खैनी बेचने में सहायता करते थे जब पिता घर से बाहर जाते तो निरंजन में दुकान संभालते थे।
कठिनाइयों का किया डटकर सामना

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पिता के बीमार होने के बाद घड़ी की दुकान बंद हो गई घर की स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती गई परिवार का गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा था परंतु निरंजन ने हार नहीं मानी अपना काम करते गए। बहुत सी कठिनाई आई लेकिन इन्होंने अपनी मेहनत से कठिनाइयों को पार किया।

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निरंजन की फैमिली उसकी पढ़ाई पर हमेशा ध्यान देते। उन्होंने 2004 में जवाहर नवोदय विद्यालय नवादा से मैट्रिक एग्जाम पास की 2006 में साइंस कॉलेज पटना से इंटर एग्जाम पास की इसके बाद से उन्होंने बैंक से चार लाख का लोन लिया  IIT-ISM धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। 2011 में धनबाद के कोल इंडिया लिमिटेड में असिस्टेंट मैनेजर जॉब इस नौकरी से जो पैसा आता था इसी से इनके घर का गुजारा चलता था।

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2017 में इन्होंने यूपीएससी एग्जाम दी जिसमें इनके 728 वी रैंक आई। इनका कहना है कि आप इससे भी अच्छा कर सकते हैं उन्होंने फिर से कोशिश की 2020 में सेकंड अटेम्प्ट में उनकी 535 वीं रैंक आई। इस तरह आईपीएस ऑफिसर बने। निरंजन की कहानी हर इंसान को कामयाब होने की सीख देती है।

Tags छोटी सी दुकान खैनी गरीबी पढ़ाई मेहनत IAS
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