झुंझुनू शहर के नूआँ गांव का यह परिवार जिसके सदस्य आईएएस और आईपीएस है। बाकी सभी सदस्य कर रहे हैं सिविल क्षेत्र में कार्य।
वीरों की भूमि के नाम से विश्व विख्यात झुंझुनू दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। झुंझुनू के लाल जितने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसा किसी और जिले में देखने को नहीं मिलेगा। झुंझुनू जितने वीर सपूत भारतीय सेना में देता आ रहा है। ऐसा आज तक किसी और जिले ने नहीं किया है। झुंझुनू को वीरो की भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें झुंझुनू जिला शिक्षा में भी अग्रणी रहा है। यहां के प्रत्येक गांव के वीर सपूत राज्य और केंद्र सरकार के अधीन कार्य करने वाले कर्मचारियों की संख्या सैकड़ों में गिनी जा सकती है। अगर बात की जाए फर्स्ट क्लास के अधिकारियों की तो नौकरी के मामले में झुंझुनू के व्यक्ति सबसे आगे की पंक्ति में खड़े नजर आएंगे। मानो यह इस शहर के लिए सौभाग्य हो या किस्मत।
आज हम आपको इस शहर के एक छोटे से गांव नूआँ के बारे में परिचय करवाने वाले हैं। जिसमें परिवार के सभी सदस्य सिविल सेवा में कार्य कर रहे हैं। इसमें परिवार का एक सदस्य IPS, 3 सदस्य IAS, 5 सदस्य RAS तथा अन्य भारतीय सेना में अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। नूआँ गांव में सिविल क्षेत्र की शुरुआत हयात मोहम्मद खान से हुई थी। जो भारतीय सेना में कार्यरत थे। वे सदैव यही सोचते थे। कि उनके बच्चे भी शिक्षित होकर उन्हीं की राहों पर चलें। जिसकी बदौलत आज हाल ही में जाकिर हुसैन आईएएस बने हैं।
नूआँ के रहने वाले हयात मोहम्मद खान साहब जिनके 5 बेटों में से 3 बेटे IAS व साथ ही उनका 1 बेटा IPS अफसर है और वहीं दूसरा बेटा शिक्षा विभाग में भी कार्यरत है। वहीं दूसरी और परिवार के और सदस्यों की बात करें तो हयात मोहम्मद के बेटे लियाकत अली आईजी पद से सेवानिवृत्त है
लियाकत अली के पुत्र साइन अली RAS अफसर होने के साथ-साथ उनकी पत्नी मोनिका जेल की उपाधीक्षक है।
हयात मोहम्मद खान के दूसरे बेटों की अगर हम बात करें तो इनमें अशफाक हुसैन पहले RAS अफसर थे। जो अब IPS अफसर पद पर कार्यरत है। अशफाक हुसैन की बेटी सारा खान भारतीय राजस्व सेवा पद पर कार्यशील है। फराह खान के पति कमर-उल-जमन चौधरी IAS अफसर है
खान साहब की बेटी की अगर बात की जाए तो उनकी बेटी अख्तर बानो के बेटे सलीम आरिफ व उनकी पत्नी RAS अधिकारी है। वह साथ ही उनके परिवार के सदस्य जावेद भी RAS अधिकारी हैं। जाकिर हुसैन के प्रमोशन होने पर परिवार के साथ-साथ गांव वालों ने भी खुशी जाहिर की। उनके परिवार में पहले से ही 10 लोग सिविल विभाग में कार्यरत है जाकिर हुसैन ने भी अपने परिवार की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपना नाम भी इस श्रेणी में जोड़ लिया है।
जाति धर्म को पीछे छोड़कर अगर इस परिवार के बारे में विस्तार से जाना जाए। तो मन में एक अलग सा एहसास जाग उठता है। यह परिवार हर उस परिवार के लिए प्रेरणा स्रोत है जो अपने जीवन में आगे बढ़कर अपने व मानवता के लिए कुछ करना चाहते हैं। जातिवाद धर्म के नाम पर लोगों के बीच कितने भी मतभेद बने परंतु आज भी झुंझुनू के निवासियों के बीच प्रेम व भाईचारे की भावना उत्पन्न है। जिसे ना शायद कोई तोड़ पाया और ना ही कोई तोड़ पाएगा।