काम कैसा भी हो चाहे छोटा या बड़ा कोई फर्क नहीं पड़ता, इरादे मजबूत होने चाहिए। आप की नसीहत और काम को कोई नहीं देखता, लोग केवल आप के हुनर को देखते हैं।
दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं चाय किस को पसंद नहीं होती है, सुबह उठते ही सबसे पहले चाय पीना यह बहुत से लोगों की आदत है, बिना चाय के तो मानो सुबह ही नहीं होती। बिना चाय के तो पूरा दिन ही बेकार चला जाता है कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जिन्हें थोड़ी-थोड़ी देर बाद चाय पीने की आदत होती है। चाय का यह बिजनेस करके आप करोड़ों के मालिक भी बन सकते हैं। चाय के भी बहुत से फ्लेवर होते हैं ग्रीन टी, मसाला टी, ब्लैक टी, अदरक या इलायची वाली चाय। जैसा की हम सभी रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर देखते हैं कि चाय के शौकीन व्यक्ति सुबह हो या शाम चाय पीने रेहड़ी पर पहुंच जाते हैं।
आज हम जिस विषय के बारे में बात करने वाले हैं, उनके किरदार अनुभव दुबे और उनके दोस्त आनंद नायक जो कि मध्यप्रदेश के रीवा के रहने वाले हैं। अनुभव दुबे और उनके दोस्त ने चाय का बिजनेस प्रारंभ करके करोड़ों रुपए कमाए हैं और साथ ही साथ कई बेसहारा लोगों को रोजगार भी दिया है। अनुभव दुबे की शिक्षा की अगर बात करें तो उन्होंने आठवीं कक्षा अपने गांव में ही की और उसके बाद उनके पिताजी ने उन्हें पढ़ने के लिए इंदौर भेज दिया। वहां उन्हें कई नए दोस्त मिले, जिनमें से खास आनंद नायक थे कुछ साल बाद आनंद नायक ने पढ़ाई छोड़ कर अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर बिजनेस प्रारंभ कर दिया ।
पिता चाहते थे बेटा आईएस बने:-अनुभव दुबे को उनके माता-पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली भेज दिया। वहां पर अनुभव दुबे यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। उनके माता पिता का सपना था कि उनका बेटा आईएएस बने। परंतु किस्मत कुछ और ही चाहती थी। कुछ दिन बाद उनके पास दोस्त आनंद का अचानक से कॉल आया और उसने अनुभव दुबे को कहा कि उसका बिज़नेस सही नहीं चल रहा है। इसलिए दोस्त आनंद ने अनुभव दुबे से नया कार्य करने के लिए पूछा? फिर क्या था। बिना सोचे समझे ही अनुभव ने आनंद को हां बोल दी क्योंकि अनुभव दुबे के मन में बिजनेस के ख्याल आए थे इसके बाद ही अनुभव और आनंद ने अपने बिजनेस को लेकर प्लानिंग करना शुरू कर दिया।
अनुभव दुबे की सोच थी की चाय देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली वस्तु है और यही आईडिया उनको अपने बिजनेस की ओर ले गया और वे जानते थे कि इसमें खर्चा बहुत कम और डिमांड बहुत ज्यादा है। दोनों दोस्तों ने अपना निर्णय पक्का किया और एक चाय की शॉप खोलने का मन बनाया।
2016 में तीन लाख की लागत से इंदौर में खोली पहली दुकान:-अनुभव दुबे और आनंद ने मिलकर 3 लाख खर्च कर इंदौर में अपनी पहली दुकान खोली। अनुभव दुबे से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा की एक गर्ल्स हॉस्टल के पास उन्होंने किराए पर रूम लिया और पुराने फर्नीचर खरीदे और दोस्तों से कुछ रुपए उधार लेकर उन्होंने अपने आउटलेट को मॉडिफाई किया। इन सब को लेकर पहले ही बहुत ज्यादा खर्चा हो गया था। जिससे कि उनके पास बैनर तैयार करवाने के पैसे भी नहीं बचे थे। जिस कारण उन्होंने एक लकड़ी के बोर्ड पर ही अपनी दुकान का नाम लिखकर लगाया।
ऐसा करने से उन्हें बहुत सारी परेशानियों को भी झेलना पड़ा और दुकान चलाने में भी काफी परेशानियां सामने आई। अनुभव बताते हैं कि लोगों ने उनके पिता को ताने कसना भी प्रारंभ कर दिया था कि आपका बेटा यूपीएससी की तैयारी को छोड़कर चाय बेचना प्रारंभ कर दिया है। इन सब के बावजूद अनुभव और आनंद ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर यह काम किया। फिर समय के इस चक्कर में धीरे धीरे ग्राहक आने लगे और उन्हें एक अच्छी आमदनी होना प्रारंभ हो गई। दोनों दोस्तों ने अपनी चाय की दुकान का नाम सुट्टा बार रखा था। और बहुत ही जल्द यह सुट्टा बार फेमस हुआ। इससे सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा में रहा और बाद में उनके परिवार वालों ने उनका साथ दिया।
देशभर में है 165 आउटलेट्स, सालाना टर्न ओवर 100 करोड रुपए:-दोस्तों आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि चाय सुट्टा बार की शुरुआत 2016 में 3 लाख रुपए की लागत के साथ हुई थी। वर्तमान में इसका कारोबार लगभग 100 करोड रुपए हो चुका है और साथ ही साथ देश भर में इसके 165 आउटलेट्स भी हैं और विदेशों में 5 आउटलेट्स है। इन सब के साथ अनुभव दुबे और उनके दोस्त आनंद ने 250 कुम्हार परिवारों को भी रोजगार से जोड़ रखा है। जो इनके लिए कुल्लड़ बनाने का कार्य करते हैं। देशभर में इनके शॉप पर लगभग 18 लाख कस्टमर्स रोजाना आते हैं।
इनसे मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने बताया कि वे वर्तमान में लगभग 9 अलग-अलग स्वाद की चाय बेचते हैं। इनके सुट्टा बार के मेनू लिस्ट में 10 रुपए से लेकर 150 रुपए तक की चाय है और यह धीरे-धीरे अपने आउटलेट्स की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अनुभव दुबे और उनके दोस्त आनंद कहते हैं कि हमारी कोशिश यह है कि पूरे देश भर के हर छोटे-बड़े शहर में हमारी चाय के आउटलेट्स का मॉडल हो।
प्रत्येक नए आउटलेट की ओपनिंग पर एक दिन मुफ्त में सब को चाय पिलाते हैं।:-अनुभव दुबे का कहना है कि आमतौर पर जिस तरह हमारे यहां पर किसी पूजा के समय भंडारा किया जाता है उसी प्रकार हम भी अपने नए आउटलेट की ओपनिंग पर चाय का भंडारा लगाते हैं हम इस दिन सबको मुफ्त में चाय पिलाते हैं, देखा जाए तो यह एक तरह से बिजनेस स्ट्रेटजी भी है। अनुभव दुबे कहते हैं और इसी बहाने लोगो को हमारे बिजनेस के बारे में भी पता चल जाता है। और उन्हें चाय पसंद आने के बाद वे हमारे नए कस्टमर भी बन जाते हैं।
फ्रेंचाइजी मॉडल पर करते हैं काम:-इनका कहना है कि जो लोग हमारे साथ मिलकर फ्रेंचाइजी मॉडल पर कार्य करना चाहते हैं। इसके लिए हम उन्हें सेटअप तैयार करके देते हैं। और हमारी चाय बनाने का फार्मूला उन्हें दे देते हैं इसके बाद हम उनसे कुछ कमीशन प्राप्त करते हैं और बाकी का कमीशन जो आउटलेट्स चलाता है उनके खाते में चला जाता है हर थोड़े दिन बाद नए आउटलेट्स ओपन हो रहे हैं, लोग इसके लिए काफी अधिक डिमांड कर रहे हैं।
अनुभव दुबे और उनके दोस्त आनंद के इस काम से प्रसन्न होकर लगा ली अपनी ही एक स्टार्टअप, नाम रखा इंजीनियर चायवाला, कर रहे हर रोज 3 हजार रुपए का बिजनेस। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले अंकित नागवंशी ने पिछले साल लोकडाउन के बाद अगस्त में किया स्टार्टअप। है उनके हजारों कस्टमर्स। सुबह 7:00 से शाम 8:00 बजे तक एक चौराहे पर लगाते हैं छोटा सा स्टॉल।