कहा जाता है कि छोटी-मोटी असफलता मिलने से किसी के लिए बाधा बनती है तो किसी के लिए आगे बढ़ने की जिज्ञासा,
ऐसी ही जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति एक न एक दिन जिंदगी में इतिहास रच देते हैं, ऐसे ही पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर के एक युवक अपनी जिज्ञासाओं से आगे बढ़ रहे हैं, जो कि सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा चर्चा का विषय बने हुए हैं, अगर अब हम बात करें उनकी कहानी की तो वह युवक 12वीं कक्षा में फेल होने के कारण मजदूरी करने लगा था लेकिन उसने मजदूरी के रास्ते को छोड़कर अपने पढ़ाई के रास्ते को अपना लिया और हार नहीं मानी, वह युवक अपने रास्ते पर इतना तेज दौड़ा की उसने पूरे राजस्थान में 2nd रैंक हासिल की और पूरे राज्य में अपने नाम का पायदान दूसरी रैंक पर लिख दिया।
कामयाबी के बाद वह युवक आज कॉलेज में हिंदी साहित्य का लेक्चरर है, उस युवक ने अपनी लाइफ में काफी दुख झेला है और असफलता ने बाड़मेर जिले के खारा गांव के रहने वाले आशु सिंह की कदम कदम पर परीक्षाएं ली है, कई बार उनको असफलताएं भी मिली है लेकिन वह इस चीज से कभी घबराए नहीं, उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और आज वह इस मुकाम पर पहुंच गए हैं।
वह अपने जीवन मे असफलताओं के कारण कई बार निराश भी हुए लेकिन जब सफलता और शोहरत ने उनका दरवाजा खटखटाया तो उनके जीवन में खुशियों की बहार आ गई, हिंदी सब्जेक्ट में असिस्टेंट ऑफिसर बनने के लिए आशु सिंह ने जो मेहनत की, वह मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपना सपना पूरा किया।
आशु सिंह को अपनी लाइफ में काफी स्ट्रगल करना पड़ा क्योंकि उनके पिता दिव्यांग थे और उनका इकलौता भाई जिसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, इस कारण आशु सिंह को अपनी लाइफ में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
यह सब होने के बावजूद भी वह इस चीज से कभी घबराए नहीं और अपनी कॉलेज लेक्चरर की तैयारी में लग गए, आपको जानकर हैरानी होगी कि आशु सिंह राजस्थान प्रशासनिक परीक्षा में 4 बार असफल हुए हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपना हौसला बुलंद रखा और आज हमारे सामने वह इस मुकाम पर है।
आशु सिंह ने स्वयं कहां है कि जब तक लक्ष्य को लेकर नहीं चलोगे तब तक आप अपने जीवन में सफल नहीं हो सकते और कहां की मैंने अपने पढ़ाई के लक्ष्य को साथ लिया और आगे की तैयारी पूरे मन से की, जब मैं जाकर असिस्टेंट प्रोफेसर बना हूं।
अगर अब हम बात करें कि आशु सिंह का सिलेक्शन किन-किन चीजों में हुआ है तो पहले वर्ष 2012 में वरिष्ठ अध्यापक, 2013 में पुलिस उप निरीक्षक और 2015 में स्कूल व्याख्याता में आशु सिंह का सिलेक्शन हो चुका है।
आशु सिंह 12वीं कक्षा में फेल होने के कारण काफी टूट चुके थे और वह इस चीज को भुलाने के लिए मजदूरी करने लगे थे लेकिन घरवालों और दोस्तों की समझाइस के कारण आशु सिंह को प्रेरणा मिली और वह फिर से परीक्षा देने के लिए राजी हुए, उन्होंने 12वीं कक्षा फिर से पास की और इसके बाद वह जीवन में सफलता प्राप्त करते ही गए, आज वह कॉलेज के हिंदी साहित्य के लेक्चरर है।