गांव के इन चार बुजुर्गों को ही ऐसी क्या आन पड़ी जिससे अपने 10,000 रुपए खर्च कर, पुराने आम के पेड़ की जान बचाई...
वृक्षों का महत्व हम सभी जानते हैं। इसीलिए तो जलवायु परिवर्तन और इस बढ़ते प्रदूषण के चलते हमारी सरकार और समाजसेवी वृक्षों को बचाने में लगे हुए हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्वार्थ के चलते पेड़ों को काटने में भी लगे हुए हैं।
झाबुआ गांव के चार बुजुर्ग जिनकी कहानी बड़ी प्रेरणादायक है, तो चलिए हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जो पर्यावरण के प्रति आपको जागरूक कर देगी।
राजस्थान का एक गांव जिसका नाम है झाबुआ। वहां के एक किसान ने अपनी जमीन हीरालाल को बेची। उसी जमीन में एक आम का पेड़ लगा हुआ था। किसान ने 10 हजार उस आम के पेड़ के भी वसूल किए।
हीरालाल ने सोचा अगर वह इस आम के पेड़ को काटकर बेच देगा तो उसे उसके 10000 हजार वापस मिल जाएंगे। इसी सोच के साथ वह उसी पेड़ को काटने के लिए गया तो वहां कुछ लोगों ने उसका विरोध किया।
विरोध करने वाले कोई और नहीं वही चार बुजुर्ग थे जिनका नाम था हीरा, रामा, नूरा और सकरीया। इनको जब पता चला कि हीरालाल पेड़ काटने वाला है तो ये सब तुरंत उस स्थान पर पहुंच गए और इस आम पेड़ की कीमत देकर उसे खरीद लिया।
दरअसल हुआ ऐसा कि हीरालाल ने कहा अगर आप सब लोग इस पेड़ को बचाना चाहते हैं तो आप सभी को मिलकर मुझे 2500-2500 रुपए देने होंगे और मेरे 10 हजार रुपए पूरे हो जाएंगे। पेड़ को बचाने के लिए उन चार बुजुर्गों ने वैसा ही किया।
लोगों ने कहा कि इस पुराने पेड़ को बचाने के लिए के लिए आपने अपने पैसे क्यों खर्च किए, तो उन्होंने बड़ा ही प्यारा उत्तर दिया और कहा कि यह पेड़ बहुत पुराना है। हमारा आधा बचपन किसी पेड़ के नीचे खेल कर गुजरा है। इससे हमारी बहुत पुरानी यादें जुड़ी हुई है और हम आज इसी पेड़ को अपनी आंखों के सामने कटता हुआ नहीं देख सकते थे। और इसकी जान बचाने के लिए 10000 रुपए देना कोई बड़ी बात नहीं है।