BY: NEHA RAJPUT 7K | 0 | 3 years ago
सरकारी बैंक का बहुत जल्द होने वाला है निजी करण,सरकार जोरों-शोरों से कर रही तैयारी, 2 बैंक हैं शॉर्टलिस्ट
दोस्तों, सरकारी बैंकों को अब प्राइवेट सेक्टर के हाथों में दिया जाएगा। सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करेगी और पीएसयू बैंकों में विदेशी स्वामित्व पर 20% की छूट भी देगी। इसकी जानकारी दो सरकारी अधिकारियों ने दी हैं और शर्त रखी कि इनका नाम बाहर नहीं आना चाहिए।
संसद में चल रहे बजट सत्र में यही संशोधन पेश करने की कोशिश की जा रही है लेकिन कैबिनेट का फैसला आने में समय लग सकता है। कहा जा रहा है कि यह संशोधन मानसून सत्र में हो सकता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सरकार सितंबर माह में एक सरकारी बैंक को प्राइवेट सेक्टर में दे देगी।
यानी आने वाले दिनों में एक सरकारी बैंक तो प्राइवेटाइजेशन हो जाएगा। इसकी आधारशिला बनाने में इंटर मंत्रालय परामर्श का फैसला आने ही वाला है। इसकी कानूनी प्रक्रिया के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का संगठन प्राइवेटाइजेशन के लिए बैंकों का नाम निर्धारित करेगा कि किस बैंक को निजीकरण करना है। इस पर अंतिम फैसला जल्दी आएगा और अगले वित्त वर्ष के प्रारंभ में ही एक गवर्नमेंट बैंक तो प्राइवेट सेक्टर में चला जाएगा।
जानिए क्या है सरकार की योजना?
वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए यह कहा था कि 2022 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन किया जाएगा। निजीकरण के लिए नीति आयोग ने दो पीएसयू बैंको का नाम फाइनल भी कर लिया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने यह भी कहा था कि चल रहे वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी का भी निजीकरण किया जाएगा,लेकिन महामारी के चलते इस कार्य को पोस्टपोनड किया गया। गवर्मेंट दो सरकारी बैंकों के निजीकरण में अब आईडीबीआई बैंक पर निवेशकों के जवाब का इंतजार हो रहा है। नियामक मुद्दों को सुलझाने के लिए बैंकिंग नियामक के साथ विचार-विमर्श भी किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक निजी करण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को चुना गया है। कानूनी प्रक्रिया जब पूरी हो जाएगी तो इन शॉर्टलिस्ट किए गए बैंकों को आगे अप्रूवल के लिए मंत्रियों के संगठन के समक्ष रखा जाएगा। अधिकारियों ने यह कहा है कि इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को प्राइवेट सेक्टर में दिया जाएगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र का भी अगले वर्ष तक निजी करण हो सकता है।