क्लर्क की एक गलती और...दिल्ली को बसाने वाले पांडवों का नाम दिल्ली के नक्शे से हो गया गायब!
आप सभी जानते हैं कि दिल्ली का इतिहास बहुत पुराना है। इतिहास के अनुसार पांडवों ने अपनी राजधानी इंद्रप्रस्थ को बनाया था। पांडवों ने ही दिल्ली को इंद्रप्रस्थ नाम से सबसे पहले बसाया।
आजादी के बाद सन 1955 में इस पुराने किले के दक्षिण पूर्वी हिस्से में खुदाई से कुछ ऐसे साक्ष्य मिले जिससे महाभारत काल के समय का पता चलता है। मिले साक्ष्यों के माध्यम से पता चला कि पांडवों ने अपनी राजधानी इंद्रप्रस्थ को बनाया था और अधिक खुदाई के बाद यह बात सच हुई थी जिस दिल्ली में हम रह रहे हैं उसका इतिहास मौर्य काल से लेकर मुगल काल तक है। दिल्लीवासियों को पता चला कि यह दिल्ली पांडवों की पुरानी राजधानी रह चुकी है।
दिल्ली के कई नक्काशी पर आज भी उनके नाम अंकित थे जिनमें कस्तूरबा गाँधी रोड ,अब्दुल कलाम रोड, हो,अकबर रोड , महात्मा गाँधी रोड आदि शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब दिल्ली घूमने जाते हैं तो पांडव रोड क्यों नहीं देखते हैं। तो चलिए आज हम इसके पीछे कहानी आपको सुनाते है?
इन पुराने नामचीन लोगों के नाम पर ही राजधानी दिल्ली की सड़कों का नाम रखा गया है इन्हीं में से एक है पांडव रोड। इसे पांडव रोड 10 फरवरी 1931 को बनाया गया।
इन सब का ध्यान रखने के लिए एक कमेटी बनाई गई है जो इस पर काम करती है लेकिन एक सरकारी कर्मचारी की गलती की वजह से सरकारी रिकॉर्ड से अंग्रेजी में पांडव लिखते हुए अंग्रेजी के वर्ड 'वि' की जगह है 'आर' लिख दिया गया था। कर्मचारी की इस गलती के कारण आज दिल्ली की इस रोड को 'पंडारा' रोड के नाम से जाना जाता है इस वजह से दिल्ली के नक्शे से पांडवों के नाम हट चुका है। लेकिन सबसे अजीब बात यह है कि इस गलती का पता होने के बाद भी आज तक इसे सुधारा नहीं गया है।
आज पंडारा रोड दिल्ली की 10 टॉप जगहों में से एक है यहां दूर-दूर से लोग सिर्फ यहां का टेस्टी खाना खाने के लिए ही आते हैं। गूगल सर्च इंजन पर जब आप दिल्ली के बेस्ट रेस्टोरेंट का नाम ढूंढगे तो उनमें से एक ऐतिहासिक नाम यह भी होगा।
भारत का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा एक गलती की वजह से आज कहीं दब चुका है। जिन पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को बसाया जो आज दिल्ली के नाम से मशहूर है उनका नाम कहीं भी दिखाई नहीं देता है। इस गलती को सुधारने के लिए सोशल मीडिया पर कई लोग इसका विरोध भी करते हैं लेकिन लोगों को जवाब में यही सुनाया जा रहा है कि यह एक सरकारी कर्मचारी की गलती थी लेकिन इस गलती को अभी भी सुधारा नहीं जा रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल भी छपा है।