150 रुपए नहीं दिए तो मरीज को एंबुलेंस से नीचे उतार दिया गया, हॉस्पिटल में नहीं दिया गया बेड, ऑपरेशन महिला को लेटना पड़ा फर्श पर...
यह घटना यूपी के महाराजगंज में एक प्राइवेट हॉस्पिटल की है जिसमेें सरकारी दवाओं का प्राइवेट हॉस्पिटल में मिलना और सीएचसी अस्पताल में मोमबत्ती व टोर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज होना! इन सब के पश्चात ऐसा ही एक वाक्य सामने आया है जिसमें नसबंदी कराने आई महिलाओं को सर्जरी के बाद अस्पताल के फर्श पर ही लेटा दिया जाता है| इस वाक्य ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है! इतना सब कुछ काफी नहीं था की जब महिलाओं के घर जाने के लिए एंबुलेंस में सवार हुई तो एंबुलेंस में तैनात कर्मियों ने महिलाओं से 150 रुपए की मांग की! नहीं देने पर उन्हें धक्का देकर एंबुलेंस से नीचे उतार दिया गया|
पिछले कुछ दिनों में सामने आई यह घटना जिसमें अंधेरे के बीच मोमबत्ती और टॉर्च की रोशनी में प्रसूताओं का प्रसव और प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी दवाओं का मिलना सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है और उसके बाद इस घटना का फिर से सामने आना काफी विचारात्मक है| आखिर इनके साथ इतनी बदसलूकी क्यों क्या गरीब होना इनका गुनाह है, ना बेड का खर्च, ना कोई झमेला, सीधे फर्श पर ही इलाज कर दिया जाता है|
सीएमओ साहब झूठे या मरीज झूठा ?
जब यह बात सीएमओ साहब तक पहुंची तो सीएमओ अपनी कुर्सी से उठकर गेट को भी पार करने को तैयार नहीं! क्योंकि पैसों के लिए मरीजों को एंबुलेंस से नीचे उतार देना और मरीजों का इलाज फर्श पर ही कर देना! यह बात सीएमओ को हजम नहीं हो रही है! सीएमओ इसके बारे में जानते हैं कि सच्चाई सामने आ ही जाएगी! सीएमओ ऑफिस के नीचे ही एक बिल्डिंग में सदर सीएचसी चलता है और उसी के ऊपर सीएमओ कार्यालय है! यह सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की नाकामियों और उनके कमजोरी की वजह से हो रहा है जिस कारण एक फार्मासिस्ट की भूमिका सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है!
NRHM घोटाले के दौरान चर्चित इस फार्मेसिस्ट के इशारे पर ही जिले का पूरा स्वास्थ्य विभाग चलता है. लोगों का मानना है कि साये की तरह CMO के साथ रहने वाला यह फार्मेसिस्ट दिन को रात कहे तो साहब भी रात ही कहेंगे.