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गांव के लोग खुद अपने पैसे से चलाते हैं यह रेलवे स्टेशन और इसका ध्यान भी स्वयं रखते हैं-banner
Sneha Sharma Author photo BY: SNEHA SHARMA 879 | 1 | 2 years ago

गांव के लोग खुद अपने पैसे से चलाते हैं यह रेलवे स्टेशन और इसका ध्यान भी स्वयं रखते हैं

इकलौता ऐसा रेलवे स्टेशन जिसे चलाते हैं गांव के लोग

जब भी कहीं जल्दी पहुंचना होता है तो एक विकल्प हमेशा होता है वह है रेलवे। और भारत में सही रेलवे लाइन भी है। सभी रेलवे स्टेशन एक दूसरे राज्यों से और जिलों से जुड़े हुए हैं। आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे अनोखे रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे जिससे सरकार या निजी सेक्टर नहीं बल्कि खुद गांव वाले चलाते हैं।

राजस्थान का एक इकलौता ऐसा रेलवे स्टेशन जिसकी निगरानी स्वयं गांव वाले रखते हैं यह रेलवे स्टेशन राजस्थान के नागौर जिले का एक जुलूस नाम मत हाल्ट रेलवे स्टेशन है। अनोखी बात तो यह है कि इसका टी सी वाला भी गांव का व्यक्ति ही होता है।

रेलवे ने रखी गांव वालों के सामने शर्त

मिली जानकारी के अनुसार भारतीय रेलवे को एक नियम के तहत जोधपुर रेल मंडल में कम रेवेन्यू वाले स्टेशन को बंद करना पड़ा था। जिसकी वजह से 2005 में जालसू नानक हॉट स्टेशन को बंद कर दिया गया था। सरकार के इस फैसले का गांव वालों ने विरोध भी किया था और इसके लिए वे 11 दिन तक हड़ताल पर भी बैठे थे।

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Image source - Google search

हजार रुपये की सैलरी पर रखा टिकट बेचने वाले को

अब वर्तमान समय में यह पर हर महीने 30 हजार रुपये से ज्यादा की आय हो रही है। अभी यहां पर 10 से ज्यादा ट्रेन का स्टॉपेज भी हैं। लोगों ने गांव में ही चंदे इकठ्ठा किया जिससे उन्होंने डेढ़ लाख रुपयों से 1500 टिकट भी खरीदे गए और बाकी बचे रुपये को ब्याज के तौर पर इनवेस्ट कर दिया। इसके बाद उन्होंने गांव के ही एक निवासी को 5 हज़ार रुपये की सैलरी पर टिकट बेचने के लिए रखा।

तब जाकर रेलवे मंत्रालय ने गांव के लोगों के सामने एक अनोखी शर्त रखी थी कि गांव का संचालन खुद गांव वाले करें। इसके लिए उन्हें हर महीने 15 से टिकट और रोज 50 टिकट बेचने ही होंगे। इन सबके चलते गांव वालों ने रेलवे स्टेशन को खुद संभालने की जिम्मेदारी ली। जिन व्यक्तियों की सैलरी पहले 5000 हजार थी आज वर्तमान में उनकी सैलरी 30000 हजार है फिलहाल यहां 10,000 से ज्यादा रेलवे का स्टॉपेज भी है। गांव के लोगों ने जो चंदा इकट्ठा किया था जिससे उन्होंने डेढ़ लाख रुपए में 1500 की टिकट खरीदी थी और जो बचे पैसे थे, इनको ब्याज के तौर पर इन्वेस्ट कर दिया। जिसके बाद गांव के एक निवासी को ₹5000 की सैलरी पर टिकट बेचने कहां।

गांव वाले अब मांग कर रहे हैं कि सरकार खुद इस रेलवे स्टेशन को संभाल ले इसके लिए रेलवे अधिकारी ने खुद रेलवे स्टेशन का निरीक्षण भी किया था। भारतीय रेलवे को इस रेलवे स्टेशन से हर महीने लगभग ₹30000 की आय भी प्राप्त होती है। 

आपको बता दें कि इस गांव में एक घर के बाद दूसरे घर में एक सैनिक है। इस गांव के करीब 200 से ज्यादा व्यक्ति भारतीय सेना जैसे नेवी एयर फोर्स बीएसएफ और सीआरपीएफ में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं। और यहां पर 250 से ज्यादा रिटायर सैनिक भी है।

 

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