BY: SNEHA SHARMA 3.5K | 5 | 4 years ago
शहीद बेटे का अंतिम दर्शन भी ना कर सके बूढ़े मां-बाप, 16 साल बाद मिला जवान का शव 2005 में लहराया था इस चोटी पर तिरंगा….
जिंदगी में सबसे खतरनाक समय वह होता है। जब अपना कोई इस दुनिया को छोड़कर जाता है। तो उसके बिना जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। लेकिन इस दुनिया का यही रिवाज है जिस ने जन्म लिया है उसे मरना भी होता है। लेकिन किसी के इस दुनिया से जाने के बाद उसके अपनों पर दुखों का पहाड़ टूट जाता है। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे वो जीना सीख लेते हैं। लेकिन जब कोई अपना इस दुनिया को छोड़ कर चला जाए और हम उसे अंतिम बार देख भी नहीं पाए। तो घर वालों पर क्या गुजरती होगी, लेकिन किसी तरह से अपने दिल को समझा-बुझाकर शांत कर ही लेते हैं। लेकिन कई सालों बाद घर वालों को उसका श-व मिलने की खबर मिले। तो उन पर क्या बीती होगी। क्योंकि घर वाले तो उसके बिना जीना सीख चुके होते हैं। आज हमें ऐसे ही एक फौजी के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका शव कई सालों बाद बर्फ में दबा मिला।
गाजियाबाद के एक फौजी अमरिस त्यागी 2005 में एक पर्वतारोही पर तिरंगा लहरा कर वापस आ रहे थे। उनके साथ फौजियों का एक पूरा दल था। वह हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा कर वापस लौट रहे थे। तो रास्ते में कुछ ऐसा हादसा हो गया जिस वजह से भारतीय सेना के चार फौजी सैकड़ों फीट नीचे खाई मे गिर गए। जिनमें से एक जवान का श-व नहीं मिला था। उसके मां-बाप की आखिरी इच्छा थी कि वे अपने बेटे को आखरी बार देख लेते। मगर ऐसा नहीं हो सका और वे इस दुनिया से चले गए । घरवाले दिल पर पत्थर रखकर धीरे-धीरे इस चीज को भूल चुके थे। लेकिन अब 16 साल बाद श-व वापस मिलने की वजह से जख्म वापस ताजा हो गए।
गाजियाबाद के एक गांव के रहने वाले एक जवान का श-व 16 साल बाद मिला है। भारतीय सेना के 25 जवानों का एक ग्रुप (दल) सतोपंथ की चोटी पर अपनी जीत का झंडा लहरा कर सितंबर महीने में उत्तरकाशी से निकल रहा था। तो उनको बर्फ में दबा एक श-व मिला। इस शव को जवानों ने गंगोत्री पहुंचाया और पुलिस को सौंप दिया पुलिस ने छानबीन कर पता लगाया कि 23 सितंबर 2005 को इसी चोटी पर तिरंगा फहरा कर लौट रहे थे। तब पैर फिसलने से चार जवान खाई में जा गिरे थे। जिनमें से एक का श-व बरामद नहीं हो पाया था ठीक 16 साल बाद आर्मी के जवानों को शव मिला है। श-व 25 सितंबर को उनके गांव पहुंचाया गया है। घर पर अमरीश के 2 भाई मौजूद थे आर्मी के जवानों ने उन्हें बताया कि पहाड़ों से उतरने के दौरान अमरीश त्यागी खाई में गिर गए थे और उनका शव नहीं मिल पाया था अब उनका श-व मिला है। उन्होंने घरवालों को बताया कि शव बर्फ में दब गया था और अब बर्फ पिघलने की वजह से शव मिल पाया है। अमरीश त्यागी के घर आए हुए कुछ जवानों ने कागजी कार्यवाही की और घरवालों के दस्तखत करवा कर उनका शव घर वालों को सौंप दिया यह घटना 2005 में घटित हुई थी। तो भारतीय सेना ने 2006 में उन को मृत घोषित करके उनकी पत्नी को आर्थिक सहायता दे दी थी।
भारतीय सेना के एक जवान ने बताया कि जिस समय यह हादसा हुआ था। उस समय भारतीय सेना ने एक बचाओ-खोज अभियान चलाया था लेकिन उस समय उत्तराखंड का मौसम गड़बड़ होने की वजह से कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी। उनके पिता का 10 साल पहले और माँ का 4 साल पहले निधन हो चुका था उन दोनों की आखिरी इच्छा थी कि वह बेटे को आखिरी बार देख लेते।