तालिबान से बचने के लिए अफगानी नागरिक प्लेन में जगह न मिलने पर उससे लटक कर भी देश छोड़ देना चाहते हैं। यही कोशिश में फुटबॉलर ज़ाकि अनवारी की प्लेन से गिरने.
दुनिया भर की नजरें इस समय अफगानिस्तान पर टिकी हुई है। राजनीतिक अस्थिरता के चलते अफगानी नागरिकों का भविष्य संकट में है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान का क़ब्ज़ा होते ही पूरे अफगान में अफरा-तफरी मची हुई है, लोग अपने जान बचाने के लिए देश छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने की घोषणा से ही यह कयास लगाया जा रहा था, कि तालिबान फिर से सिर उठा सकता है। लेकिन इतना जल्दी पासा पलट जाएगा यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था।
अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार को खदेड़ कर शरिया कानून को मानने वाले तालिबान ने बं-दूक के दम पर अफगानिस्तान के ज्यादातर इलाकों पर कब्जा कर लिया है। हालांकि अभी भी कुछ क्षेत्र तालिबान के कब्जे से बाहर हैं, जहां पर तालिबान विरोधी गुट एकजुट होकर तालिबान से लोहा लेने की तैयारी में हैं।
काबूल को हथियाने के बाद तालिबान अफगानी सरकार और अमेरिका का साथ देने वाले लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर मार रहा है। उसने महिलाओं को घर के बाहर काम करने पर पाबंदी लगा दी। साथ ही उनके लिए बुर्का पहनना भी अनिवार्य कर दिया है। पूरे अफगानिस्तान में लू'टपाट, महिलाओं पर अत्याचार आम बात हो गई है। ऐसे में लोग देश छोड़ने के लिए मजबूर राजधानी काबुल के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर हजारों की संख्या में जमा हैं और कैसे भी करके अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं।
एयरपोर्ट पर कई दिनों से लोग भूखे प्यासे देश से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं। यहां की स्थिति इतनी भयावह है कि देखकर अच्छे अच्छों की रूह तक कांप जाती है। इसी एयरपोर्ट पर यूएसए के रेस्क्यू विमान पर चढ़ने की इतनी भगदड़ मची कि लोग जैसे-तैसे कुछ भी करके उसमें चढ़ना चाहते थे, इसी कोशिश में अफगानिस्तान के एक उभरते फुटबॉलर की मौत हो गई।
लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर भी देश से निकल जाना बेहतर समझते हैं। इसी कोशिश में 19 साल के अफगान फुटबॉलर ज़ाकी अनवारी की मौत के बाद सभी सदमे में हैं। ऐसा सिर्फ यहां इस नौजवान खिलाड़ी के साथ ही नहीं हुआ, बल्कि तालिबान की गो'लियों के रोज हजारों शिकार हो रहे हैं। यहां कितने लोगों की जान चली गई अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संख्या कई लाख हो सकती है।
तालिबान की कथनी और करनी में दिन रात का अंतर है। वह अपने बयान में तो कहता है कि हम आपकी जान माल की हिफाजत करेंगे साथ ही वह टैलेंटेड अफगानी उसे अपील कर रहा है कि वह देश छोड़कर न जाएं। इसके विपरीत असल में वह अपना दबदबा कायम करने के लिए सरेआम अंधाधुंध गो'लीबारी कर रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे ढेरों वीडियो वायरल हो रहे हैं जो तालिबान की हकीकत को बयां करते हैं।
अमेरिका की अफगानिस्तान छोड़ने पर किसी ने यह अनुमान नहीं लगाया था कि इतनी जल्दी ही तालिबान अपने मंसूबे में कामयाब हो जाएगा क्योंकि अफगानिस्तान की तीन लाख की सेना के आगे महज 60 से 70 हजार तालिबानी कुछ ज्यादा नहीं टिक पाएंगे। साथ ही अफगानी सेना के पास अत्याधुनिक अमेरिकी ह-थियार, फाइटर प्लेन और हेलीकॉप्टर थे। अफगानी सैनिकों को अमेरिका ने ट्रेनिंग भी दी थी। लेकिन इसके उलट अफगानी सरकार ने जितने जल्दी अपने हथियार डाले इसका कारण अच्छे भले विश्लेषकों के समझ से भी परे हैं।
चुनी हुई अफगानी सरकार ने अफगानिस्तान की जनता को अंधकार में धकेल दिया है। अफगानिस्तान में खाने-पीने से लेकर मेडिकल सुविधाओं की भारी कमी हो गई है। एटीएम खाली पड़े हैं, बैंक काफी दिनों से बंद है, ऐसे में आम नागरिकों की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। लोग घर के भीतर भूख प्यास से मरने को मजबूर हैं, तो सड़कों पर आने पर उन्हें तालिबान की बंदूकों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे देशों में शरण की कोशिश में लगे हैं, ऐसी ही एक कोशिश में युवा खिलाड़ी ने अपनी जान गवा दी।