हाल ही में देखे गए सफेद कौवा, कौवा सफेद क्यों होता है इसके साइंटिफिक और लीजेंडरी रीजन जाने..
दोस्तों, आपने कौवे का काला रंग तो जरूर देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी सफेद कौवा देखा है। आप शायद यह कहेंगे कि कौवा तो काला ही होता है, लेकिन आज हम आपको सफेद कौवे की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो पहले शायद आपने कभी नहीं सुनी होगी।
लगभग सभी जगह को कौवे पाए जाते हैं और वे काले होते हैं और कहीं-कहीं इन्हें घरों में इनका आना अशुभ माना जाता है, लेकिन जब सफेद को देखा जाना शुभ माना जाता है। एमपी के दतवाड़ा में सफेद कौवे को देखा गया है इससे पहले 2017 में सतना में सफेद कौवे देखे गए थे।
कौवे का सफेद रंग बदलने के पीछे साइंटिफिक रीजन है। सफेद कौवा पहले काला ही होता है लेकिन जेनेटिक डिफेक्ट न्यूसीजन के कारण कौवे का रंग सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की ऐसी अनेक प्रजातियां पाई जाती।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कौवे के सफेद से काले होने की अलग ही कहानी है। मान्यताओं के अनुसार बहुत लंबे समय पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत ढूंढने के लिए भेजा और उससे कहा कि वह केवल अमृत की जानकारी लानी है और उसे पीना नहीं है। बहुत सालों की कड़ी मेहनत के बाद सफेद कौवे ने अमृत को ढूंढा लेकिन बाद में उसे अमृत पीने की इच्छा होने लगी और कोई नहीं अमृत पी लिया और वापस आकर साधु को अमृत की जानकारी दी।
जैसे ही साधु को पता चला कि कौवे ने अमृत पी लिया है तो वे उसे बहुत गुस्सा हो गए और उसे श्राप दे दिया कि तूने अपनी अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत को झूठा किया है इसी कारण लोग तुझे घृणा की दृष्टि से देखेंगे और तेरे आगमन को अशोक मानेंगे और हमेशा तेरी बुराई होगी।
साधु ने कौवे को श्राप देते समय उसे कमंडल के काले पानी में डुबो दिया, जिसके बाद कौवे का रंग काला हो गया
सफेद कौवे को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि लाखों कौवे में से एक कौवे का रंग सफेद होता है।
नर्मदा नदी के किनारे बसे एक गांव में भी सफेद कौवा देखा गया था यहां के स्थानीय लोगों ने कहा कि यह दो-तीन दिनों से ऐसे ही घूम रहा है।
जियोलॉजी के एक प्रोफेसर के अनुसार अल्बीनिज्म प्रोसेस के पूरा नहीं होने की वजह से कुछ कौवे अपने मूल रंग की बजाए सफेद रंग में ही पैदा होते हैं।