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रेलवे स्टेशन पर 45 आदमियों के बीच अकेली महिला कुली, इज्जत से कमा कर अपने बच्चों को बनाना चाहती है ऑफिसर, कहां;- आपका साथ.....-banner
Nidhi Jangir Author photo BY: NIDHI JANGIR 4.7K | 0 | 2 years ago

रेलवे स्टेशन पर 45 आदमियों के बीच अकेली महिला कुली, इज्जत से कमा कर अपने बच्चों को बनाना चाहती है ऑफिसर, कहां;- आपका साथ.....

पति के गुजर जाने के बाद संध्या पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई, कटनी रेलवे स्टेशन पर करती है कुली का काम, बच्चों को बनाना चाहती है अफसर

महिलाओं की जिंदगी मुश्किलों से भरी होती है, लेकिन जब हस्बैंड की डेथ हो जाती है, तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर आ जाती है। वह घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारियां अच्छे से निभाती है।

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यह कहानी है एक 30 साल की संध्या मारावी की। जो पैसे से एक कुली है। संध्या अपना काम बड़ी मेहनत से करती है।

लोग महिला कुली को देखकर हैरान भी होते हैं। संध्या का कहना है कि मेरा हौसला टूटने वाला नहीं है। भले ही मेरी जिंदगी सी खुशियां छीन ली गई है लेकिन बच्चों को बड़ा अफसर बनाना चाहती हूं। मैं अपने दम पर अपने बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हूं। मैं कुली नंबर 36 हूं और अपनी मेहनत का खाती हूं। मैं किसी से मदद की उम्मीद नहीं करना चाहती हूं। मैं अपनी मेहनत के बलबूते परअपने परिवार की देखभाल करना चाहती हूं।

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संध्या एमपी के कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली काम करती है। संध्या के परिवार में उसकी बूढ़ी सास और तीन बच्चे हैं जिनके पालन पोषण की जिम्मेदारी संध्या पर है। इन्होंने अपने नाम का रेलवे कुली का लाइसेंस भी बनवा लिया। यह अपने काम को बड़ी शिद्दत से करती है। जब एक महिला कुली का काम करती है तो लोग उसे देख कर चौक जाते हैं और उसकी हिम्मत की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।

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संध्या की कुली जर्सी का नंबर 36 है। 2017 से यह काम कर रही है ‌ संध्या यह काम मजबूरी में कर रही है क्योंकि पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है। संध्या अपने परिवार के साथ कटनी में ही रहती है। संध्या के पति बीमारी के चलते इस दुनिया को छोड़ कर चले गए।

जब पति साथ है तब संध्या अन्य महिलाओं की तरह ही अपने परिवार को संभालती, लेकिन जब पति भोलाराम की तबीयत खराब हो गई और लंबे समय से बीमारी के चलते 2016 में उनकी डेथ हो गई, तभी से संध्या मजदूरी करके अपने घर का खर्चा उठाती है। मजदूरी से उनका घर का गुजारा नहीं हो पाता था इसलिए उन्हें अच्छी नौकरी की जरूरत थी जब उन्हें कोई काम नहीं मिला तो उन्होंने कुली की नौकरी ही कर ली।

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संध्या का कहना है कि जब मुझे कोई नौकरी नहीं मिली तो मुझे किसी के द्वारा पता चला कि कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली की आवश्यकता है तो मैंने इस नौकरी के लिए अप्लाई कर दिया। इस रेलवे स्टेशन पर 45 पुरुष है और मैं एक महिला कुली हूं और मेरी कुली जर्सी का नंबर 36 है।

संध्या जबलपुर में रहती है और नौकरी के लिए उसे कुंडम से लगभग 90 किलोमीटर यात्रा करके कटनी रेलवे स्टेशन पहुंचना होता है। अपना काम खत्म करके संध्या फिर अपने घर जबलपुर जाती है इस बीच अपने परिवार का ध्यान रखती है।

संध्या के तीन बच्चे हैं-साहिल हर्षित और बेटी पायल। अपने बच्चों का पालन पोषण करने और उनके एजुकेशन की जिम्मेदारी उठाने के लिए संध्या यात्रियों के सामान का बोझ अपने कंधे पर उठाती है। संध्या चाहती है कि मेरे बच्चे बड़े बनकर देश की सेवा में अपना योगदान दें।

Tags Katra railway station 45 vyaktiyon ke bich Akeli mahila koli bacchon ko banana chahti hai afsar . Pati ke Gujar jaane ke bad Sandhya per pure Parivar ki jimmedari man ki ichcha bacchon ko Banta dekhna chahti Hain afsar
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