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बुजुर्ग पिता बेचते हैं गोलगप्पे, गरीब घर के चिराग ने पास की NEET की परीक्षा, लोगो के जुठे बर्तन भी दोहे-banner
mustkim chopdar Author photo BY: MUSTKIM CHOPDAR 1.6K | 1 | 2 years ago

बुजुर्ग पिता बेचते हैं गोलगप्पे, गरीब घर के चिराग ने पास की NEET की परीक्षा, लोगो के जुठे बर्तन भी दोहे

अगर इरादे सख्त होना तो मुश्किल से मुश्किल नौका को पार कर सकते हैं, गोलगप्पे बेचने वाले पिता की बातों को सच कर दिखाया,

अल्पेश राठौड़ अपने बुजुर्ग पिता को दुकान पर हाथ बटाया करता था, वह अब मानव शरीर में हार्ट ब्लॉक साफ करने का सपना पूरा करने का प्रयास करेंगे। गोलगप्पे बेचने वाले बुजुर्ग पिता के सपनों का तारा अल्पेश जो अपने पिता के साथ गोलगप्पे बेचने में उनकी सहायता करता था, अल्पेश ने अपने जीवन में नई शुरुआत करके आगे बढ़ने का प्रयास किया है और NEET की परीक्षा अपने मेहनत के दम पर पास की और जब पिता को यह बात पता चली, तो उनकी आंख से आंसू तक नहीं रुके, अब अल्पेश NEET एग्जाम पास करने के बाद अपना सपना पूरा करेंगे, अल्पेश का सपना हुमन बॉडी में हार्ट से ब्लॉकेज साफ करने का है, गुजरात के अरावली जिले के मेघराज के रहने वाले हैं अल्पेश।

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गुजरात के अरावली जिले के मेघराज में उनके पिता की पानी पुरी की दुकान है, जहां पर वह खुद भी प्लेट साफ करने का काम करते थे और अपने पिता की हेल्प किया करते थे, लेकिन वह अब सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस कर सकेंगे क्योंकि उन्होंने नीट के एग्जाम में 700 में से 613 नंबर हासिल करके अपने पिता को गर्व महसूस करवाया है और उनका सपना कार्डियोलॉजिस्ट बनने का है।

वह आगे बढ़ते हुए कह रहे हैं कि 'वह कार्डियोलॉजी में अपना भविष्य बनाने के बाद न्यूरोलॉजी में आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे' सबसे आश्चर्य की बात यह है कि अल्पेश सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने परिवार से ही नहीं बल्कि पूरे गांव केंथवा से पहले डॉक्टर होंगे, वह बहुत ही होनहार थे और वह अपने पिता का काम में हाथ बटाया करते थे, साथ में अपनी पढ़ाई का भी ध्यान रखते थे।

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अल्पेश अपनी दिनचर्या के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वह सुबह जल्दी 4:00 बजे उठकर अपने बुजुर्ग पिता रामसिंह का काम में हाथ बटाते थे और उनको पानी पूरी ओर मसाला बनाने में मदद करते थे, जब वह दसवीं क्लास में थे, इस काम को करने के बाद वह अपने पिता का ठेला सजाते थे, फिर जब स्कूल खत्म हो जाती थी तो वह आकर ग्राहकों को संभालता था और उनके झूठे बर्तन भी धो लिया करता था।

वह काम करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दिया करते थे और वह अपनी पढ़ाई को कभी भी नहीं छोड़ते थे, वह काम करते हुए भी अपनी पढ़ाई के लिए समय निकाल लेते थे और वह पढ़ाई में काफी होशियार भी थे, इसके चलते उनके 10वीं में 93% आए थे, इसी वजह से ही सभी को लगने लगा कि वह जीवन में आगे बढ़ सकते हैं, लड़के ने बताया कि उनके टीचर राजू पटेल ने और उनकी पत्नी ने उनको काफी सपोर्ट किया और उनको भविष्य को लेकर काफी गाइड किया जिसकी वजह से उनको आगे बढ़ने में मदद मिली, उस वक्त अल्पेश के पिता आंखों की परेशानी से बहुत ही ज्यादा पीड़ित थे, जिसकी वजह से अल्पेश प्रभावित हुए और उन्होंने एमबीबीएस के एग्जाम में अपनी पूरी मेहनत लगा दी और एग्जाम में अच्छे नंबर हासिल किए।

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उनके पिता की महीने की कमाई 15 हजार रुपए थी, जिसके चलते अल्पेश का फैसला मंजूर करना उनके लिए आसान नहीं था, इस कमाई से उनके पूरे घर का खर्चा भी नहीं चल पाता है, नेट की एग्जाम की कोचिंग की फीस का इंतजाम करना बेहद कठिन हो गया था, इस फैसले से उनके माता-पिता ने उनको बहुत सुनाया और कहा कि इस फैसले में काफी रिस्क है। उनके माता-पिता ने कहा कि हम इस फैसले से बर्बाद हो सकते हैं लेकिन जैसे तैसे अल्पेश ने उनको राजी किया, अपने फैसले को उन्होंने गलत साबित नहीं होने दिया और इस फैसले से आज उनके पिता उन पर बहुत ज्यादा गर्व महसूस कर रहे हैं और उनकी कामयाबी से आज उनका पूरा परिवार खुश है।

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