भारत का युवा अच्छी तरह से शिक्षित होगा तभी भारत में एक नया रूप देखने को मिलेगा।
भारत का युवा अच्छी तरह से शिक्षित होगा तभी भारत में एक नया रूप देखने को मिलेगा। गरीब और बेसहारा लोगों के लिए शिक्षा प्राप्त करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। लेकिन देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो हर परिस्थिति में अपनी सोच के साथ आगे बढ़ते ही रहते हैं और साथ में लोगों को भी प्रेरित करते है। भारत के कुछ परिवारों में आर्थिक परेशानियां होती है और कुछ परिवारों में मानसिक रूप से परेशानियां होती है। कुछ लोग अपनी परिस्थितियों का असर खुद पर नहीं पड़ने देते है।
राजस्थान के बाड़मेर जिले के मंगले की बेरी की बेटी लक्ष्मी गढ़वाल सब इंस्पेक्टर बनी। बता दें कि लक्ष्मी गढ़वाल अपने समाज और अपने गांव की पहली ऐसी महिला है जो सब इंस्पेक्टर बनी है।
उन्होंने बचपन से ही अपने जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना किया है। लगातार संघर्षों का सामना करते करते आज वह इस मुकाम पर हैं कि लोग उन्हें सम्मान दे रहे हैं। बचपन से ही अपने जीवन में ढेरों चुनौतियों को देखा है और चुनौतियों के सामने कभी घुटने नहीं टेके बल्कि आगे ही बढ़ते रहें।
राजस्थान की लक्ष्मी गढ़वाल सब इंस्पेक्टर बन कर अपने जिले ,गांव व समाज सभी का नाम रोशन कर रही है। लक्ष्मी के पिता राय चंद्र गढ़वाल एक नेत्रहीन व्यक्ति हैं और उनकी माता एक ग्रहणी है। जिसके कारण उन्हें बचपन से ही आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। लक्ष्मी का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला है तब से ही अपने परिवार की आर्थिक रुप में मदद कर रही है। लक्ष्मी के दो भाई लक्ष्मी से बड़े हैं। लक्ष्मी के भाइयों का कहना है कि उनके परिवार में काफी दिक्कत परेशानी थी। इसलिए उन्होंने खुद परिवार संभाल कर अपनी बहन को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया जिससे आज वह इस मुकाम पर है।
लक्ष्मी ने कक्षा 12वीं में पास होने के बाद 2011 में राजस्थान पुलिस की परीक्षा दी जिसे पास करके उन्होंने 9 वर्ष तक लगातार पुलिस कांस्टेबल के पद पर कार्य किया। कॉलेज की शिक्षा के साथ ही कंपटीशन की तैयारी की। जब वह कॉन्स्टेबल के पद के लिए सिलेक्ट हुई तो उन्होंने सोचा उच्च शिक्षा प्राप्त कर कॉन्स्टेबल से बड़े पद के लिए तैयारी करने की।
उन्होंने ट्रेनिंग के बाद प्राइवेट कॉलेज से ba और ma की पढ़ाई की और साथ ही साथ अपने सेक्टर के लिए भी तैयारी करती रही। उनका सब इंपेक्टर बनना बचपन से ही सपना था। इसलिए वह लगातार अपने सपने के पीछे भागती रही। 9 वर्ष की कड़ी मेहनत करने के बाद उन्होंने अपना सपना पूरा कर लिया।