गांव की बेटी ने शुरू की मात्र 50 हजार रुपए में PR एजेंसी, अब हुआ 7 करोड़ टर्नओवर का बिज़नेस खड़ा जानिए कैसे –

गाँव की इस बेटी ने जो मन में ठाना, वह करके दिखाया। आज इस बेटी ने किया 7 करोड़ के टर्नओवर का बिजनेस। आइये जानते है कैसे हुआ ये एम्पायर खड़ा –

by SNEHA SHARMA

गांव की बेटी ने शुरू की मात्र 50 हजार रुपए में PR एजेंसी, अब हुआ 7 करोड़ टर्नओवर का बिज़नेस खड़ा जानिए कैसे –

भारत के छोटे से गाँव की यह बेटी आज सबके लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। एक छोटे से गाँव की बेटी के द्वारा इतना बड़ा बिज़नस खड़ा करना आसान नहीं रहा होगा लेकिन यह बेटी आज सबके लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बन गयी है। इस बेटी ने गाँव से निकलकर देश की राजधानी में अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए है।

हम जिस गाँव की बेटी की बात कर रहे है उसका नाम गीता सिंह है। इसका जन्म उतराखंड के छोटे से गाँव में हुआ था। इसका गाँव इतना छोटा था की इसके गाँव में लोगों की संख्या मात्र 50 थी। इसके बाद गीता के माँ-बाप उतर प्रदेश के एक शहर मेरठ में चले गए और वहीँ बस गए। गीता का बचपन इसी शहर में बीता।

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गीता समय के साथ बड़ी होने लगी और आगे की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चली गई। दिल्ली जाकर गीता ने ज़ी टीवी और दैनिक जागरण जैसे कई मीडिया संस्थानों में इंटर्नशिप करते हुए राजनीति विज्ञान ऑनर्स में स्नातक की डिग्री के लिए दिल्ली के विश्वविद्यालय में अपना दाखिला करवाया। दिल्ली विश्वविद्यालय से अच्छे अंको से उत्तीर्ण कर डिग्री प्राप्त की और खुद का बिजनेस शुरू करने की ठान ली।

मात्र 25 साल की उम्र में कैसे शुरू किया अपना बिजनेस

गीता ने साल 2012 में मात्र ₹50000 की लागत लगाकर PR और संचार फर्म दि येलो कम्युनिकेशन की शुरुआत कर दी। गीता ने इस कंपनी को शुरू करने के बाद दिलो जान से इस पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया। गीता के अच्छे व्यवहार और कार्य के प्रति लगन को देखकर लोगों ने के गीता के काम को काफी सराहा जिसकी वजह से गीता को बिजनेस में बड़े-बड़े ग्राहकों का मिलना शुरू हो गया।

गीता ने अपनी कंपनियों की सबसे पहले दिन मोबाइल इंडिया नाम की कंपनी से की थी। यह एक डिजिटल गेजेट्स का वेब पोर्टल था इस कंपनी को अपनी वेबसाइट के लिए अंग्रेजी तथा हिंदी लिखो के अनुवाद की जरूरत थी। गीता के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और वे चाहते थे कि गीता भी उनकी तरह सरकारी नौकरी करें।

सीता के परिवार में कभी किसी ने बिजनेस नहीं किया था। जिसकी वजह से गीता को उनके पिता ने पैसे देने से भी साफ इंकार कर दिया था। सीता के पिता का नाम मानसिंह है जो कि लोवर डिवीजन कलर्स के रूप में सरकारी नौकरी कर रहे थे। गीता के पिता चाहते थे कि गीता सरकारी नौकरियों की तैयारी हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं को दें और अच्छी सैलरी वाली सरकारी नौकरी करके अपना जीवन व्यतीत करें।

गीता ने अपना बिजनेस शुरू करने से पहले चैनल वी, पीआर एजेंसियों और विज्ञापन एजेंसियों में काम किया था। इसके अलावा बिताने वीडियो एडिटिंग का काम भी फ्रीलांसिंग में किया था। इस कार्य को करने के लिए गीता को ₹2000 हर घंटे के हिसाब से मिलते थे। गीता ने कई लोगों का काम फ्री में भी किया था। जिसका उन्हें भरपूर फायदा भी मिला। जब इन्होंने अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट किया तब इन्हीं लोगों ने बड़े-बड़े काम गीता को दिलवाए थे।

वर्ष 2012 में गीता ने खुद की फर्म "दी येलो कॉइन कम्युनिकेशन" की नींव रखी थी। इसके बाद गीता ने कई छोटे-छोटे प्रोजेक्ट ओं पर भी काम किया और उन्हें मोबाइल इंडिया जैसा बड़ा काम भी मिला। इसी प्रकार काम करते हुए आगे बढ़ते गई और गीता ने साल 2014 में अपनी कंपनी को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदल दिया। इसी वर्ष यानी साल 2014 में ही पतंजलि का काम भी होने मिला था। साल 2015 तक पहुंचते-पहुंचते गीता की कंपनी का टर्नओवर 1 करोड़ रूपये तक पहुंच गया था। गीता के पति का नाम सौरभ है जो कि सुप्रीम कोर्ट में वकील है।

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