एक-एक रुपैया इकट्ठा करके बनाई संस्था, हजारों बच्चों को पढ़ा रही सीमा वर्मा, तेरा हजार बच्चों की शिक्षा का खर्चा स्वयं उठा रही...
सीमा वर्मा की कहानी:- हजारों बच्चों को शिक्षा दे चुकी हैं यह शिक्षिका, शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है जो स्वयं जलकर दूसरों को रोशन करता है।
by NEHA RAJPUT
शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है जो स्वयं जलकर दूसरों को रोशन करता है। शिक्षक ही वह है जो हमारे आने वाले कल की नींव को पहले से मजबूत बनाते हैं। शिक्षक हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने वाले मार्ग की राह दिखाता है। हम ऐसे कई शिक्षकों की कहानी सुनते हैं जो स्टूडेंट्स को भविष्य सुधारने के लिए बहुत मेहनत करता है। आज हम आपको एक ऐसे ही शिक्षक की कहानी सुनाने वाले हैं जो पढ़ाई के साथ-साथ लाखों बच्चों का भविष्य संवार रही हैं। यह टीचर छत्तीसगढ़ बिलासपुर में बच्चों को शिक्षा दे रही है।
शिक्षिका का नाम है सीमा वर्मा
जिस टीचर की हम बात कर रहे हैं उनका नाम है सीमा वर्मा। इन्होंने वकालत की पढ़ाई की है, साथ ही यह बच्चों को शिक्षा देने का कार्य भी कर रही है। सीमा वर्मा ने अभियान की शुरुआत एक रुपए से की थी, अपनी मेहनत से आज यह लाखों बच्चों के भविष्य को सुधार रही है। सीमा वर्मा अब तक 13000 बच्चों को कॉपी, पेन, पेंसिल, स्टेशनरी आदि चीजें उपलब्ध करवा चुकी है, यह 34 बच्चों को एजुकेशन देने के लिए उन्हें अडॉप्ट कर चुकी है।
आखिरकार 1 रूपए से कैसे शुरू हुआ यह अभियान
सीमा वर्मा पिछले 5 सालों से बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही है इसके लिए उन्होंने एक संस्था भी बना रखी है जिसमें लोग एक ₹1 की मदद देते हैं जितना पैसा भी इस संस्था में इकट्ठा होता है, कुछ पैसे कोई है गरीब बच्चों की एजुकेशन में लगाती है।
धीरे-धीरे अब इस संस्था को हजारों लोगों की मदद मिलने लगी है कई बड़े लोग भी इस संस्था की तारीफ कर रहे हैं और इस संस्था में अपनी मदद भी दे रहे हैं। सीमा वर्मा ने कहा 1रूपए इकट्ठा करके बच्चों को शिक्षा देने का विचार मदन मोहन मालवीय से आया था। आपको बता दें मदन मोहन मालवीय ने 1रूपए इकट्ठा करके काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी यह विश्वविद्यालय आज वर्ल्ड फेमस यूनिवर्सिटी में से एक है।
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