दूसरों के खेतों में मजदूरी करके अपनी पढ़ाई का खर्च उठाती थी, आज वह बीएसएफ ऑफिसर बन गई है

परिवार चलाने के लिए दिनभर दूसरे खेत में मजदूरी, सुबह 5 बजे उठकर लगाती थी दौड़, अब BSF में हुआ सिलेक्शन

by SUMAN CHOUDHARY

दूसरों के खेतों में मजदूरी करके अपनी पढ़ाई का खर्च उठाती थी, आज वह बीएसएफ ऑफिसर बन गई है

यह बात है राजगढ़ जिले के पिपल्या रसोड़ा गांव की।गांव की एक बेटी जिसका चयन बीएसएफ में हो गया, तो गांव वालों ने बेटी को घोड़ी पर बैठा कर ढोल नगाड़े के साथ पूरे गांव ने उसक स्वागत किया क्योंकि इस बेटी ने अपने गांव का नाम रोशन किया है। गांव वालों के साथ इस बेटी ने भी जमकर डांस किया। इस बेटी का नाम है संध्या। जिसका आज बीएसएफ में चयन हो गया है।

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संध्या अपनी 8 महीने की ट्रेनिंग पूरी करके पहली बार जब गांव आए तो पूरे परिवार ने उसका भव्य स्वागत किया। इस मौके पर संध्या ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैं अपने गांव के लोगो के चेहरे पर खुशी ला सकी। संध्या के पिता देवचंद भिलाला मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।

संध्या ने अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है। संध्या ने फिजिकल टेस्ट पास कर लिया और वह ट्रेनिंग के लिए राजस्थान चली गई थी। जब वह अपनी 8 महीने की ट्रेनिंग के बाद वापस अपने गांव लौटे तो पूरे गाने संध्या का खुले दिल से भव्य स्वागत किया।

मजदूरी करके उठाया पढ़ाई का खर्च

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संध्या के पिता एक मजदूर है इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। आपको बता दें कि संध्या ने दूसरों के खेती में मजदूरी करके 12वीं कक्षा की पढ़ाई की थी। इनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं। संध्या तीसरे नंबर की बेटी है जिसने अपने बलबूते पर यह सफलता प्राप्त कर ली है। संध्या नेपाल, भूटान बॉर्डर पर अपनी ड्यूटी देगी। अनेक कठिनाइयों को पार करके संध्या ने इस मुकाम को हासिल किया।

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