अपने परीक्षा परिणाम से संतुष्ट नहीं हुआ तो, छात्र शांतनु ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को हाई कोर्ट में घसीटा, जिसके बाद उसके एक नंबर नहीं बल्कि 28 नंबर बढ़े
शांतनु ने बोर्ड को घसीटा कोर्ट, तीन साल बाद हक में आया फ़ैसला, एक के बदले मिले 28 नंबर...
by SUMAN CHOUDHARY
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे अपनी रिजल्ट से खुश नहीं होते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जितनी उन्होंने मेहनत की थी परिणाम उस हिसाब से नहीं आया है इसलिए वह रिचेक की एप्लीकेशन लगाते हैं। ऐसा ही कुछ mp के शांतनु शुक्ला के साथ भी हुआ लेकिन शांतनु की कहानी थोड़ी हटके है। इसने एक नंबर के लिए mp बोर्ड को हाईकोर्ट तक घसीट दिया। इस पर फैसला आने में 3 साल लगे लेकिन फैसला शांतनु के पक्ष में ही आया।
अब तक 44 पेशियां
दरअसल, शांतनु ने बारवीं क्लास में एक नंबर बढ़ाने के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को हाईकोर्ट तक घसीटा। यह केस तीन साल तक चला और लगभग 44 पेशियां हुई। इस केस में शांतनु के 15 हजार रुपए लगे।लेकिन कोर्ट ने फैसला शांतनु के पक्ष में ही सुनाया और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को दोबारा कॉपी जांचने करने के लिए कहा रि-चेकिकिंग में शांति के एक नंबर नहीं बल्कि पूरे 28 नंबर बढ़े।
रीटोटलिंग के लिए के लिए अप्लाई किया
शांतनु के 2018 में बारवीं बोर्ड में 74.8% नंबर बने। इस वजह से उसे मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ नहीं मिला शांतनु के सबसे कम नंबर बुक कीपिंग और काउंटिंग में बने थे। शांतनु जब नंबरों से संतुष्ट नहीं हुआ तो उसने रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया लेकिन रिजल्ट मे कोई परिवर्तन नहीं आया। तब जाकर शांतनु माध्यमिक शिक्षा बोल्ड को हाई कोर्ट में घसीटा और फैसला शांतनु के पक्ष में आया और कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को दुबारा कॉपी जांचने को कहा।
हाई कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भेजा नोटिस
शांतनु ने कहा कि 2018 में जबलपुर हाईकोर्ट में मैंने याचिका दर्ज की फॉर विद की वजह से फैसला आने में देरी हाई कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को अभी तक छह नोटिस भेजे लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो जब शांतनु की कॉपी दुबारा चैक गई तो उसके 80.4% मार्क्स बने।
शांतनु ने कहा कि अब मैं दोबारा मेधावी छात्र योजना में अप्लाई कर सकता हूं। शांतनु ने कहा कि अगर खुद पर भरोसा हो तो इंसान अपने विपरीत हुए भाग्य को भी अपने पक्ष में कर सकता है।
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