अंग्रेजी नहीं आती थी तो दोस्त बहुत मजाक उड़ाते थे, आज वह आईएएस के सबसे उच्च अधिकारियों में से एक है

कभी अंग्रेजी नहीं आई तो क्लास में सहपाठी उड़ाते थे मजाक ! आज हिंदी मीडियम से पढ़कर बनी आईएएस अफसर।

by NIDHI JANGIR

अंग्रेजी नहीं आती थी तो दोस्त बहुत मजाक उड़ाते थे, आज वह आईएएस के सबसे उच्च अधिकारियों में से एक है

सभी को पता है कि आईएएस की एग्जाम बहुत होती है। जो कड़ी मेहनत करते हैं वहीं इस एग्जाम में सफलता को प्राप्त करते हैं। यह कहानी है ग्रामीण इलाके में रहने वाली एक लड़की जिसका नाम है सुरभि गौतम। सुरभि को अंग्रेजी नहीं आती थी और वह इस विषय में बहुत कमजोर थी और क्लास के सभी बच्चे उनका मजाक बनाते थे लेकिन उन्होंने आज अपनी कमजोरी को अपने सबसे बड़ी ताकत बना लिया था और आईएस कि इसका एग्जाम को पास कर सभी के मुंह बंद कर दिए हैं।

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मन में सच्ची लगन, उत्साह और मेहनत हो तो व्यक्ति बड़े से बड़े कार्य में भी जीत हासिल कर सकता है व्यक्ति चाहे तो अपने विपरीत हुए भाग्य को भी अपने पक्ष में कर सकता है। हिंदी मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह है सबसे बड़ी सीख है। तो जानते हैं कि सुरभि की सफलता की कहानी? 

12वीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से की

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सुरभि गौतम एमपी के सतना की रहने वाली इनके पिता पेशे से एक वकील है और मां एक टीचर है। सुरभि शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छी थी लेकिन सारे विषयों की अपेक्षा उनकी अंग्रेजी बहुत कमजोर थी।

दसवीं बोर्ड में 93.4% अंक प्राप्त किए

सुरभि ने अपनी शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल से की। आपको बता दें कि 10वीं और 12वीं क्लास में सुरभि ने राज्य में मेरिट लिस्ट में अपना नाम दाखिल करवाया है। दसवीं बोर्ड में सुरभि के 93.4% मार्क्स आए। मैथ और साइंस दोनों सब्जेक्ट में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए।

सुरभि जब 12वीं क्लास में थी तो उनको बहुत तेज फीवर हो गया था उन्हें ठीक होने में लगभग 15 दिन लगे थे गांव से हॉस्पिटल लगभग 150 किलोमीटर दूर था । बीमार होने के कारण सुरभि का पढ़ाई से ध्यान हट गया इन सब के बावजूद भी सुरभि ने 12वीं में भी टॉप किया।

12वीं के बाद सुरभि ने स्टेट इंजीनियर की एंट्रेंस एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त किए। इंजीनियरिंग कॉलेज में सभी को अंग्रेजी में क्वेश्चंस किए गए थे जिनका जवाब सुरभि को नहीं आया क्योंकि वह 10वीं और 12वीं हिंदी मीडियम में पढ़ी थी।

अंग्रेजी नहीं आने के कारण सुरभि हीन भावना से भर गई थी, क्योंकि वह अंग्रेजी बोलती तो अटक अटक कर बोलती थी। इन सबके बावजूद भी सुरभि का हौसला नहीं टूटा और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई।

नींदों में भी अंग्रेजी बोलती थी

अंग्रेजी में बात करने के लिए सुरभि धीरे-धीरे अंग्रेजी पढ़ने लगी और दिन के 10 वर्ड अंग्रेजी में याद करती थी वह अपने घर की दीवारों पर अंग्रेजी मीनिंग लिख दिया करती थी और उन्हें बार-बार दोहराती थी वह जहां से भी अंग्रेजी के शब्दों को सुनती उन्हें लिख लेती। ऐसा ही चलता गया उसूल भी धीरे-धीरे अंग्रेजी बोलने लग गई और उसने ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में ही टॉप पर रही इसके लिए सभी को अवार्ड भी दिया गया।

पहले दिल्ली पुलिस फिर आईएएस ऑफिसर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सुरभि को टीसीएस में प्लेसमेंट मिला था। सिविल सर्विसेज की इच्छा के चलते उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। सुरभि ने कई कंपटीशन एग्जाम भी दिए जैसे- SRO, BARC, GTE, MPPSC, SAIL, FCI, SSC दिल्ली पुलिस। आपको बता दें कि इन सभी एग्जाम्स में सुरभि ने सफलता प्राप्त की।

सुरभि ने इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस एग्जाम 2013 में दिया और ऑल इंडिया में पहली रैंक प्राप्त की। 2016 में सिविल सर्विस एग्जाम पास की ओर आईएएस ऑफिसर बनी। सुरभि कि इस सफलता से सीख मिलती है कि कभी भी अपनी खामियों और कमजोरी को अपनी सफलता के बीच नहीं आने देना चाहिए बल्कि अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लेनी चाहिए।

 

 

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