अन्नदाता की इतनी बुरी हालत; किडनी बेचकर अपना कर्ज चुकाया एक किसान ने, बोली लगी एक करोड़ की
मजबूर अन्नदाता की जब कहीं से नहीं हुई सहायता, तो अपनी कितनी बेचकर चुकाया कर्ज़, लगी एक करोड़ की बोली...
by NIDHI JANGIR
जो किसान सभी का अपने अन्न से पेट भरते हैं आज उनकी ऐसी हालत हो चुकी है जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। घटना है उत्तर प्रदेश के एक गांव सहारनपुर की जहां एक किसान ने अपना कर्ज चुकाने के लिए परेशान होकर अपनी किडनी देने की सोची और अखबार में इसका विज्ञापन भी दिया।
किसान रामकुमार ने साहूकारों का कर्ज चुकाने के लिए बहुत महीनों से बैंक के चक्कर लगा रहा था लेकिन अनेक प्रयासों के बाद भी राम कुमार को लोन नहीं मिला चारों ओर से इन्हें निराशा के अलावा कुछ भी नहीं मिला।
चारों ओर से जब निराशा ही हाथ लगी तो अंत में जाकर रामकुमार ने साहूकार का कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने की थाली और इसका सोशल मीडिया और अखबार पर एडवर्टाइजमेंट भी दिया।
आज की मतलबी दुनिया मदद तो करना ही नहीं चाहती है। लोगों ने रामकुमार की किडनी लेने के लिए एक करोड़ की बोली लगा दी। पूरी घटना जब सरकारी अधिकारियों तक पहुंची तो वे तुरंत राम कुमार के घर पहुंचे।
अधिकारियों ने तुरंत इस पर कार्यवाही शुरू कर दी और सबसे पहले लोन नहीं देने वाले बैंक को नोटिस जारी किया। रामकुमार से अधिकारियों को यह भी पता चला कि डेयरी फार्म की तीन बार ट्रेनिंग लेने के बाद भी उसे पशुपालन के लिए किसी भी बैंक में लोन भी नहीं दिया।
किसान रामकुमार ने लगभग 10 बार लोन के लिए बैंकों के चक्कर काटे लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। कैसे-कैसे करके किसान ने साहूकार से 10 लाख रुपए लेकर गांव में दूध की डेरी खोली, लेकिन डेरी कुछ खास नहीं चली इसमें भी साहूकार को निराशा ही मिली।
ऐसे में धीरे-धीरे वह कर्ज के नीचे दबता गया। रामकुमार अपनी परेशानी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक भी लेकर गया, लेकिन जहां भी कुछ फायदा नहीं मिला। अंत में मजबूर होकर किसान ने किडनी बेचने का फैसला किया।
देश के कई हजारों किसान जिनकी फसलें खराब हो जाती है और जब वे कर्ज नहीं चुका पाते हैं तो मजबूर होकर वे आ'त्महत्या करने का फैसला करते हैं। किसान की किडनी बेचने की घटना जब सरकारी अधिकारियों के पास पहुंची तो सरकारी अधिकारियों ने उन सभी बैंकों के खिलाफ कार्यवाही कर दी। किसानों के कल्याण के लिए सरकार ने कदम उठा रही है और योजनाएं भी बना रही है ताकि किसानों को आगे चल कर किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े।
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