40 साल के बाद एक परिवार में बेटी का जन्म हुआ, घर वालों ने खुश होकर पूरे शहर को मिठाईयां बाटी

40 वर्षों बाद परिवार में खुशी का माहौल, बिटिया के जन्म पर परिवार ने पिंक बस में बैठकर शहरभर में जहीर की अपनी खुशियां।

by SUMAN CHOUDHARY

40 साल के बाद एक परिवार में बेटी का जन्म हुआ, घर वालों ने खुश होकर पूरे शहर को मिठाईयां बाटी

दोस्तों हमारे समाज में आज भी लड़के और लड़कियों में फर्क किया जाता है बिना बात के ही एक बेटी को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है ऐसी दुखद खबरें कहीं ना कहीं  से मिल ही जाती है। खैर, इन सब के बावजूद कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पुरानी रूढ़िवादी सोच को अपने से काफी औ दूर रखते हैं और बेटियों के जन्म पर खुश होते हैं। दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे ही परिवार से मिलवाने वाले हैं।

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यह परिवार गुजरात के सूरत का रहने वाला है। खबरों की माने तो यहां के एक डायमंड के बिजनेसमैन के घर 40 साल के बाद बेटी का जन्म हुआ है। पूरा परिवार बेटी के जन्म पर बहुत खुश है, परिवार वाले इतने खुश हुए कि उन्होंने यह खुशी पूरी शहर के साथ साझा कर दी।

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गुलाबी बस में बैठाकर बेटी को करवाई शहर की सैर
परिवार ने अपनी खुशी जाहिर करने का एक नया तरीका खोज निकाला है। परिवार ने बच्ची को पिंक बस में बिठाया और पूरे शहर की सैर करवाई। डायमंड के बिजनेसमैन गोविंद ढोलकिया के दो बेटे हैं। सबसे बड़े बेटे का नाम श्रेयांश ढोलकिया है। श्रेयांश के दो बेटे हैं। लेकिन इनके परिवार में अभी तक किसी बेटी ने जन्म नहीं लिया था जिसका वे बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। श्रेयांश की पत्नी ने हाल ही में एक बेटी को जन्म दिया है, परिवार का यह बरसों का इंतजार आज खत्म हुआ। घरवाले इतने खुश हुए कि उन्होंने बेटी को पिंक बस में बैठा कर पूरे शहर की सैर करवा दी पूरे शहर को मिठाइयां बांटी।

खास बात यह है कि इन्होंने बस की नेम प्लेट पर भी It's a Girl लिखवाया था बेटे की एक तस्वीर भी लगाई थी इसके साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश भी लोगों को दिया था।

श्रेयांश ढोलकिया ने कहा कि मैं बेटी के जन्म पर बहुत खुश हूं, लेकिन हम समाज को भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देना चाहते हैं इसके लिए बच्ची को पिंक बस में बैठा कर पूरे शहर में भ्रमण करवाया ताकि लोगों में जागरूकता पैदा हो।

परिवार ने कहा कि 40 साल के बाद हमारे घर में ही है खुशी आई। गोविंद ढोलकिया भाग्यलक्ष्मी योजना चलाते हैं उन्हें ने यह 2008 में शुरू की थी, योजना में जिसके चार बेटियां हैं उन्हें सालाना ₹11000 रुपए दिए जाते हैं ऐसे हमने 25 परिवार गोद लिए हैं। 1992 में लड़कियों की एजुकेशन के लिए एक कल स्कूल भी चलाया है इसमें 6000 से ज्यादा लड़कियां निशुल्क प्राप्त कर रही हैं और 500 से अधिक लड़कियों की शादी का खर्चा भी दिया था।
इससे पहले भी पुणे के परिवार में बेटी ने जन्म लिया था। परिवार ने बच्ची को हेलीकॉप्टर के द्वारा गांव घूम आया था। हाल ही ट्विटर पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक पिता अपना बिजनेस शुरू करने से पहले अपने बेटी के पैरों की छाप अपने ट्रक पर लगाते हैं।

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