1947 में भारत के विभाजन के बाद दो बिछड़े दोस्त 74 साल बाद एक दूसरे के आमने सामने आकर खड़े हो गए, लोगों ने कहा दोस्ती की मिसाल
बंटवारे में बिछड़े 2 दोस्त 74 साल बाद वापस मिले, एक दूसरे के गले लिपटकर फूट-फूटकर रोए।
by SUMAN CHOUDHARY
फ्रेंड्स, इस धरती पर कोई भी इंसान अकेला नहीं रह सकता है उसे किसी ने किसी के साथ की आवश्यकता पड़ती ही है। जैसे कुछ ऐसी बातें होती है जो हम केवल अपने फ्रेंड्स या करीबी लोगों के साथ ही शेयर करते हैं। दोस्त तो सभी के होते हैं लेकिन सच्चा दोस्त मिल जाए तो उसके कहने की क्या।
भाई, बहे खुशी के आंसू, देखकर हर कोई भावुक
सुख में तो सभी साथ देते हैं लेकिन दुख में जो साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है। आज हम आपको ऐसे दो दोस्तों की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो आपका दिल छू लेगी। दोनों दोस्त 74 साल पहले एक दूसरे से अलग हो गए थे लेकिन किस्मत तो देखो दोनों एक दिन अचानक एक दूसरे के सामने आ गए।
दरअसल, 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ तो सरदार गोपाल सिंह और उनका मित्र मुहम्मद बशीर एक दूसरे से बिछड़ गए थे। अलग-अलग देश के होने के बाद भी उनकी दोस्ती में कोई दरार नहीं आई। दोनों को बिछड़े हुए लगभग 74 साल हो गए। जब दोनों एक दूसरे के आमने सामने आकर खड़े हो गए तो दोनों के आंखों के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे।
सोशल मीडिया पर दोनों की दोस्ती के किस्से की खूब चर्चा हो रही है. हाल ही में भारत से जब गोपाल सिंह करतारपुर साहिब का दर्शन करने पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात अपने बिछड़े हुए दोस्त बशीर से हो गई जो पाकिस्तान के नरोवाल शहर में रहते हैं. पाकिस्तान के न्यूज आउटलेट डॉन के अनुसार दोनों जब छोटे थे तो साथ में यहां दर्शन करने जाते थे और चाय-नाश्ता करते थे.एक शख्स ने ट्विटर पर दोनों का जिक्र करते हुए लिखा कि धर्म और तीर्थ यात्रा से अलग दिल को छू लेने वाली ये कहानी करतारपुर साहिब की है. आपको बता दें कि करतारपुर गलियारा बुधवार को फिर से खोल दिया गया. उससे पहले करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की तीर्थयात्रा पिछले साल मार्च में कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के मद्देनजर दोनों देशों के बीच तीन दिन के लिए करतारपुर गलियारा खोला गया था,
जब यह कहानी लोगों तक पहुंची तो वे सभी एसी सच्ची दोस्ती की मिसाल देने लग गए। इंडिया से जब गोपाल सिंह करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए पहुंचे थे तो अचानक ही उनका पुराना दोस्त सामने आकर खड़ा हो गया। बशीर पाकिस्तान में नरोवाल शहर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। आपको बता दें कि जब यह दोनों छोटे थे तब यहां दर्शन के लिए दोनों एक साथ आते थे और खाना भी साथ में ही खाते थे। ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा कि यह है सच्ची दोस्ती जिसमें धर्म या जात पात की कोई दीवार नहीं है।कोरोना काल के समय करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की तीर्थ यात्राएं बंद की गई थी, जो इस बुधवार के दिन खोल दी गई। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के अवसर पर दोनों देशों के बीच करतारपुर गलियारा 3 दिन के लिए खोला जाता है।
जिसके दर्शन करने जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं है. कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण ये करीब 20 महीने से बंद था. करतारपुर गलियारा, पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है. शुक्रवार को 240 से ज्यादा सिख यात्री करतारपुर पहुंचे. करतारपुर में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मंदिर का दौरा किया.
करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए कोई वीजा नहीं लगता है। कोविड-19 की वजह से यह गलियारा 20 महीनों से बंद था। यह करतारपुर गलियारा पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर मैं स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है। शुक्रवार के दिन यहां 240 से करतारपुर पहुंचे। करतारपुर में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के ऑनर बीबी जागीर कौर ने इस गलियारे का दौरा स्वयं किया।
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