10 साल खड़े रहकर किया कठिन तप,लगभग 12 साल तक रहे मोन, जाने 109 वर्षीय सियाराम बाबा के बारे में...
आज हम आपको सियाराम बाबा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, यह मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं।
by NIDHI JANGIR
दोस्तों भारतीय संतो ने अपने योग और ध्यान से विश्व को हैरानी में डालने वाले काम किए हैं यह संत कठिन तपस्या कर अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण बना लेते हैं किसी भी परिस्थिति को अपने अनुकूल बना ही लेते हैं। भारत को ऋषि मुनियों का देश कहा जाता है। प्राचीन समय में दूसरे देश से लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
आज हम आपको एक ऐसे ही संत के बारे में बताने वाले हैं यह मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। इनको देखने के लिए दूसरे देशों से लोग आते हैं। इनका नाम है सियाराम बाबा। आज हम आपको सियाराम बाबा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
सियाराम बाबा मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले की नर्मदा तट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत हैं। इनकी उम्र है 109 साल। कुछ इनकी उम्र 80 साल बता रहा है तो कोई 130 साल बता रहा है लेकिन मीडिया की माने तो इनकी उम्र लगभग 109 साल है।
सियाराम बाबा हनुमान जी के भक्त हैं। यह आश्रम में रोजाना रामचरितमानस का पाठ करते हैं। जन्म स्थली महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई है। इन्होंने 8 क्लास तक पढ़ाई की है।
किसी संत के संपर्क में आने से इन्होंने वैराग्य धारण करने का सोचा बाद में उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया और कठिन तप के लिए हिमालय चले गए इनका जीवन बहुत रोचक है, इनके बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
बता दे बाबा दान में से 10 रूपए ही लेते हैं अगर कोई उन्हें 10 रूपए से ज्यादा रुपए देता है तो वह पैसे वापस कर देते हैं। इनका दर्शन करने के लिए अर्जेंटीना ऑस्ट्रेलिया से कुछ लोग उनके आश्रम आए उन्होंने बाबा को 500 रूपए दान दिए लेकिन बाबा ने केवल 10 ही रुपए लिए।
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बाबा समाज कल्याण में भी सहयोग करते हैं खबरों की मानें तो बाबा ने नर्मदा घाट की मरम्मत और बारिश से बचने के लिए शेड बनाने के लिए लगभग दो करोड़ 57 लाख दान दिए। यह पैसा इनके आश्रम से दिया गया था एक मंदिर के निर्माण के लिए इन्होंने लगभग 5 लाख रुपए दिए।
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गर्मी हो या सर्दी बाबा हमेशा एक लंगोट में रहते हैं इन्होंने तप और अपने ध्यान से अपने शरीर को मौसम के अनुकूल ढाल लिया है। गर्मी और सर्दी यह एक लंगोट में ही नजर आते हैं। इस एज में भी है यह अपना काम खुद करते हैं अपना खाना भी खुद ही बनाते हैं।
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